Monday 12 February 2018

रंगशारदा प्रतिष्ठान द्वारा किए गए म्हाडा जमीन के गैरइस्तेमाल पर जांच का प्रस्ताव सरकार ने अटकाया

नाटयमंदिर निर्माण के लिए म्हाडा ने ने दिए भूखंड पर हॉटेल और अन्य व्यवसायिक इस्तेमाल करनेवाली रंगशारदा प्रतिष्ठान की अनियमितता की जांच का प्रस्ताव सरकार ने अटकाने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को म्हाडा ने दिए हुए दस्तावेजों से स्पष्ट हो रही हैं। ताज्जुब की बात यह हैं कि 13 साल पहले मुंबई उच्च न्यायालय ने म्हाडा ने भाडेपट्टा करारनामा रद्द करने के आदेश को रद्द करते हुए उपाध्यक्ष या मुख्य कार्यकारी अधिकारी के समकक्ष अधिकारी से जांच करने के आदेश को नजरअंदाज किया गया। मराठी नाटक के लिए भूखंड का इस्तेमाल न करते हुए पंचतारांकित हॉटेल एवं उपहारगृह बनाने का मुख्य दोष लगाया हैं।  

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने म्हाडा प्रशासन से रंगशारदा प्रतिष्ठान की अनियमितता को लेकर जांच के प्रस्ताव की जानकारी मांगी थी। म्हाडा के मुंबई मंडल ने अनिल गलगली को दिए दस्तावेजों से सनसनीखेज जानकारी सामने आयी हैं। म्हाडा प्राधिकरण ने  6 जुलाई 1981 को रंगशारदा प्रतिष्ठान के साथ 90 साल के लिए जमीन का लीज अग्रीमेंट किया था। हर  30 साल के बाद किराया के शुल्क में बदलाव करने करण्याचे निश्चित किया गया।  म्हाडा की किसी भी तरह की अनुमति लिए बिना रंगशारदा प्रतिष्ठान ने बरती अनियमितता को लेकर म्हाडा ने कारणे बताओ नोटीस जारी की लेकिन रंगशारदा प्रतिष्ठान के संबंधित लोगों ने जबाब देने के बजाय पलायन शुरु किया और प्रभुदास लोटिया ने म्हाडा द्वारा मांगे दस्तावेजों की पूर्तता नहीं की। 29 अक्टूबर 2014 को यह भूखंड सामाजिक इस्तेमाल न करते हुए व्यापारीकरण के लिए इस्तेमाल करने का दोष मुंबई मंडल के  मुख्य अधिकारी ने सुनवाई में लगाया था।  

भूखंड के 50 प्रतिशत क्षेत्र पर ड्रामा थिएटर से जुडी निर्माण काम न करते हुए असल में सिर्फ  26 प्रतिशत क्षेत्र पर ड्रामा थिएटर का निर्माण करने और शेष 74 प्रतिशत क्षेत्रफल का इस्तेमाल व्यापारीकरण के लिए करने से  रु 54,01,704/ इतनी रकम अदा करने का आदेश दिया। इसके अलावा दस्तावेज पेश न करने पर कुल 2120.60 क्षेत्र के लिए रु 1,62,32,790/- इतनी रकम ना आपत्ति प्रमाणपत्र शुल्क ऐसे कुल मिलाकर रु 2,16,34,494/- इतनी रकम अदा करने का आदेश दिया था। जिसके खिलाफ  24 जनवरी 2005 को म्हाडा उपाध्यक्ष के समक्ष हुई सुनवाई में लीज अग्रीमेंट रद्द करते हुए भूखंड म्हाडा के अधिकार में लेने का आदेश जारी किया। इस आदेश के खिलाफ रंगशारदा प्रतिष्ठान ने मुंबई उच्च न्यायालय में दायर याचिका की सुनवाई में दिनांक 4 मई 2005 को न्यायमुर्ती डॉ चंद्रचूड ने म्हाडा का आदेश रद्द किया और उपाध्यक्ष या मुख्य कार्यकारी अधिकारी के समकक्ष अधिकारी से जांच का आदेश दिया था लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने गत 13 सालों से किसी भी तरह की अधिकृत भूमिका जाहीर नहीं की।द

मुंबई मंडल के मुख्य अधिकारी ने अनिल गलगली को बताया कि जांच अधिकारी नियुक्ति के मद्देनजर 30 मार्च 2016 और 30 दिसंबर 2017 को सरकार को जानकारी दी हैं। अनिल गलगली ने गत 13 साल से उच्च न्यायालय के आदेशानुसार कारवाई न करने वाले अधिकारियों पर कारवाई करने की मांग  मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भेजे हुए पत्र में की हैं। साथ ही में जल्द से जल्द भूखंड सरकार के अधिकार में लेते हुए  वर्तमान में हॉटेल का लाइसेंस रद्द कर व्यवसायीकरण उसे बंद करने की मांग की हैं। सरकार भूखंड को अपने अधिकार में लेते हुए मराठी भाषा और ड्रामा के लिए भव्य ड्रामा थिएटर निर्माण कर नाटक प्रेमियों के लिए सुअवसर प्राप्त होगा, ऐसा मत अनिल गलगली ने व्यक्त किया हैं।

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