Monday 4 December 2017

मेट्रोवन प्रायवेट लिमिटेड (MMOPL) का ऑडिट होते ही झूठ सामने आएगा

मेट्रो रेलवे से यात्रा करने वाले लाखों यात्रियों को मुंबई उच्च न्यायालय ने राहत देने का फैसला सुनाया हैं। जुलाई २०१५ में मुंबई मेट्रोवन प्रायवेट लिमिटेड (MMOPL)ने लिया हुआ यात्री किराया बढ़ाने का फैसला भी  न्यायालय ने रद्द किया है। इस फैसले का स्वागत आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने करते हुए केंद्र सरकार ताबडतोब नई दरनिश्चिती समिती स्थापन कर मुंबईकरों को राहत देने की मांग की हैं। मेट्रोवन प्रायवेट लिमिटेड (MMOPL) का ऑडिट होता हैं तो उनका झूठ सामने आएगा, ऐसा विश्वास अनिल गलगली ने व्यक्त किया हैं।

दरनिश्चिती समिती की सिफारशी के बाद जुलाई २०१५ में 'मुंबई मेट्रो वन'ने वर्सोवा-अंधेरी-घाटकोपर मार्ग पर दौड़ने वाली मेट्रो रेलवे का यात्री किराया बढ़ाने का फैसला लिया। उसके खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर हुई थी। उसपर उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति  मंजुला चेल्लूर और न्या. महेश सोनक की खंडपीठ के सामने सुनवाई हुई। खंडपीठ ने मेट्रो यात्री किराया बढ़ाने का प्रस्ताव ख़ारिज किया। 

सरकार नई दरनिश्चिती समिती स्थापन कर आगामी तीन महीने में मेट्रो का यात्री किराया निश्चित करे, ऐसा आदेश न्यायालय ने दिया हैं।  'मेट्रो वन'ने वर्तमान का यात्री किराया ले और किराया बढ़ाने की जरुरत क्यों नौबत आन पड़ी, इसे स्पष्ट करे, ऐसा ही निर्देश न्यायालय ने दिया हैं। इस पूरे मामले में लगातार फ़ॉलो अप करनेवाले अनिल गलगली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भेजे हुए पत्र में ताबडतोब नई दरनिश्चिती समिती स्थापन कर मुंबईकरों को मोदी सरकार राहत दे, ऐसी मांग की हैं। साथ ही में मुंबई मेट्रोवन प्रायवेट लिमिटेड (MMOPL) का ऑडिट होता हैं तो कंपनी का झूठ सामने आएगा, ऐसा विश्वास गलगली ने व्यक्त किया हैं।

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