Wednesday 28 June 2017

मुंबई मेट्रो वन कंपनी के यू टर्न से मध्यस्थ एमएमआरडीए को चुकाना पड़ेगा 31 करोड़

वर्सोवा स्थित होमगार्ड की स्वामित्व वाली 2.4 हेक्टर जमीन कास्टिंग यार्ड के लिए लेते हुए उस जमीन पर प्रशिक्षण केंद्र बनाकर देने का अभिवचन मुंबई मेट्रो वन कंपनी ने दिया था। अब प्रशिक्षण केंद्र बनाकर न देने वाली मुंबई मेट्रो वन कंपनी 31 करोड़ 6 लाख 12 रुपए का बकाया किराया न देने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को एमएमआरडीए प्रशासन ने दी हैं। इन सभी विवाद में मध्यस्थ की भूमिका निभानेवाली एमएमआरडीए संकट में आ गई हैं । गत 30 महीने से इमारत का निर्माण नहीं होने से चिढ़े होमगार्ड प्रशासन ने पूरी रकम ब्याज सहित देने का अनुरोध एमएमआरडीए प्रशासन से किया हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन से वर्सोवा स्थित होमगार्ड की स्वामित्व वाली जमीन को लेकर मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने किया हुआ एग्रीमेंट और वर्तमान स्थिती की जानकारी मांगी थी।  एमएमआरडीए प्रशासन ने अनिल गलगली ने 31 मार्च 2016 तक मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का बकाया किराया और अबतक हुआ एग्रीमेंट,पत्रव्यवहार और  बढ़ाई हुई मियांद के दस्तावेज दिए। वर्सोवा-अंधेरी-घाटकोपर कॉरिडोर एमआरटीस योजना में आनेवाली दिक्कतों को लेकर चर्चा करने के लिए मुख्यमंत्री ने 10 दिसंबर 2007 को आयोजित बैठक में मेट्रो वन के योजना प्रबंधक ने वर्सोवा स्थित होमगार्ड की स्वामित्व वाली 2.4 हेक्टर जमीन अस्थायी तौर पर कास्टिंग यार्ड के लिए देने के लिये एमएमआरडीए और होमगार्ड से अनुरोध किया था। उस वक्त 1.99 करोड़ रुपए केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को हस्तांतरित कर प्रशिक्षण केंद्र को बनाने के लिए मंजूरी दी थी। लेकिन मेट्रो का काम ध्यान में लेते हुए जमीन को 2 वर्ष अस्थायी तौर पर मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के योजना प्रबंधक को देते हुए उसके ऐवज में होमगार्ड का प्रशिक्षण केंद्र मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा बनाकर देने की बात तय की गई थी।

26 अप्रैल 2010 को उसतरह का एग्रीमेंट मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी और एमएमआरडीए प्रशासन के बीच हुआ था। समय पर काम न होने से मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने 4 बार मियांद बढ़ाकर ली। काम होने के बाद मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने होमगार्ड से शत प्रतिशत धोखाधड़ी करते हुए खुद को अलग किया। एग्रीमेंट की मियांद 18 अप्रैल 2010 को खत्म हो रही थी लेकिन अपर मुख्य सचिव(गृह) की अध्यक्षता में दिनांक 17 अक्टूबर 2011 को मंत्रालय में हुई बैठक में 6 महीने की अस्थायी तौर पर मियांद बढ़ाकर देते हुए  2 महीने में प्रशिक्षण केंद्र का निर्माण काम शुरु करे अन्यथा दिनांक 16 जनवरी 2009 से ब्याज की  वसूल करने का फैसला लिया गया था। इसके बाद भी किसी भी तरह का काम शुरु नहीं किया गया।

मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने 29 जून 2015 को 3 करोड़  97 लाख 98 हजार की रकम अदा भले ही की हैं लेकिन 31 मार्च 2017 तक किराया ,सर्विस टैक्स और ब्याज ऐसी कुल मिलाकर कुल 31 करोड़ 6 लाख 12 रुपए अदा करना शेष हैं। मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने की हुई धोखाधड़ी से अब होमगार्ड को दिया हुआ अभिवचन पूर्ण करने की जिम्मेदारी एमएमआरडीए प्रशासन की होने से जमीन के किराए की रकम से  प्रशिक्षण केंद्र  और सुरक्षा दीवार बनाकर देने के प्रस्ताव को एमएमआरडीए प्रशासन ने मंजूर करते किया हैं और हाल ही में सुरक्षा दीवार का काम पूर्ण किया हैं। मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने की चीटिंग से अब होमगार्ड से किया वादा पूरा करने की जिम्मेदारी एमएमआरडीए प्रशासन की हैं। जमीन के किराए की रकम से प्रशिक्षण केंद्र और सुरक्षा दीवार बनाने का वादा कर एमएमआरडीए ने सुरक्षा दीवार का काम पूर्ण किया हैं। साथ ही में 14 करोड़ मंजूर कर प्रशिक्षण केंद्र और प्रशासकीय इमारत बनाने राजी हुई हैं। लेकिन 30 किसी भी तरह का निर्माण शुरु न होने से नाराज होमगार्ड के वरिष्ठ अधिकारी संजय पांडेय ने 7 मार्च 2017 को पत्र भेजकर स्पष्ट किया कि इमारत का निर्माण एमएमआरडीए प्रशासन को करना मुश्किल हैं तो किराए की रकम ब्याज सहित लौटाई जाए ताकि निर्माण को सरकार की मंजूरी से कर सके। 

अनिल गलगली ने इस मामले को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और एमएमआरडीए क्र महानगर आयुक्त को भेजे हुए पत्र में मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने की हुई धोखाधड़ी को गंभीरता से लेते हुए कंपनी पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज करने और बकाया किराया वसूलने की मांग की हैं। अनिल अंबानी जैसे  उद्योगपती की कंपनी ने की हुई धोखाधड़ी देखते हुए उनकी सभी कंपनियों को राज्य के नई योजना में हमेशा के लिए पाबंदी लगाने की मांग अनिल गलगली ने की हैं। डीएन नगर स्थित मेट्रो कार डेपो स्थित बनी बिल्डिंग होम गार्ड को देकर एमएमओपीएल मामले को सुलझा सकती हैं।

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