Friday 5 May 2017

स्वाधीन क्षत्रिय से सरकार की जी-हुजूरी, क्वाटर्स की जानकारी आरटीआई में दे या नहीं? 

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस एकओर महाराष्ट्र में भ्रष्टाचार को खत्म कर पारदर्शकता कामकाज लाने के प्रयास में हैं और उनके ही नेतृत्व वाला सामान्य प्रशासन विभाग पारदर्शकता को  ठेंगा दिखा रहा हैं । सरकारी बंगला न छोड़ने पर विवादित हुए पूर्व मुख्य सचिव स्वाधीन क्षत्रिय के क्वाटर्स की जानकारी जो अनिल गलगली ने आरटीआई में मांगी गई हैं, उसे सीधे देने के बजाय सरकार ने स्वाधीन क्षत्रिय को जी हुजूर, के अंदाज में पत्र लिखकर पूंछा हैं कि जानकारी को सार्वजनिक करने के लिए पहले सहमति जताए।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने स्वाधीन क्षत्रिय ने 20 लाख के किराए पर दे रखे दो मकानों का मामला उजागर किया था। अनिल गलगली ने सामान्य प्रशासन विभाग से जानकारी लेने की कोशिश की थी कि इन्हें मुख्य सचिव के लिए आरक्षित बंगला कैसे दिया गया हैं। गलगली को सामान्य प्रशासन विभाग के अवर सचिव शिवदास धुले ने दिनांक 28 अप्रैल 2017 को पत्र लिखकर 83 पन्नों के लिए 166 रुपए अदा करने को कहा। इसके बाद तुरंत दिनांक 2 मार्च 2017 को दूसरा पत्र भेजकर गलगली को यह सूचित किया गया कि आपने मांगी जानकारी त्रयस्थ व्यक्ती से जुड़ी होने से आरटीआई एक्ट 2005 की धारा 11(1) के तहत उनसे एनओसी मांगी गई हैं। अन्यथा जानकारी नहीं दी जाएगी। इसलिए शुल्क अदा नहीं करे। धुले ने स्वाधीन क्षत्रिय को 2 मार्च 2017 को पत्र भेजकर सूचित किया कि गलगली ने मांगी हुई जानकारी उन्हें दे या कैसे? इसका जबाब पत्र लिखने के 10 दिनों के भीतर लिखित या मौखिक तौर पर बताए।

अनिल गलगली ने इसे सरकारी बाबुओं की अनियमितता और खुद सामान्य प्रशासन विभाग में चल रही धांधली को बचाने का प्रयास बताया। किसी भी सरकारी अफसर को सरकारी क्वाटर्स दिया जाता है तो हमेशा सरकार की संपत्ति होती हैं ना किसी निजी व्यक्ती की। क्वाटर्स की जानकारी तथा आवेदन ऑनलाइन करने का सामान्य प्रशासन विभाग के दावे की पोल खुल रही हैं अन्यथा पहले शुल्क अदा करने का पत्र भेजनेवाली सरकार बाद में इसे त्रयस्थ व्यक्ती से जुड़ी जानकारी होने का तर्क क्षत्रिय जैसे रिटायर्ड अफसरों की जी-हुजूरी का प्रतीक होने का आरोप अनिल गलगली ने करते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र भेजकर जांच की मांग की हैं।

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