Saturday 22 April 2017

रिटायर के बाद भी बंगले के मोह में स्वाधीन क्षत्रिय 

महाराष्ट्र के चीफ सेक्रेटरी पद से रिटायर होने के बाद स्वाधीन क्षत्रिय ने मंत्रालय के सामने स्थित बंगला छोड़ा नहीं हैं। दो-दो फ्लैट होत हुए, इन्हें नया सरकारी आवास चाहिए। बांद्रा-पूर्व और नेरुल, नवी मुंबई स्थित सरकारी जमीन पर रियायती दाम से बनी बाबुओं की इमारत में क्षत्रिय के नाम पर दो आलीशान फ्लैट हैं। इन दोनों फ्लैटों से उन्हें सालाना 20 लाख किराए की कमाई होती है। मगर वे नए सरकारी आवास की आस लगाए बैठे हैं। 

स्वाधीन क्षत्रिय को रिटायरमेंट के तुरंत बाद 'राइट टू सर्विस कमिश्नर' का पद मिला है। इसी आधार पर नए आवास की मांग कर रहे हैं। इस बार, क्षत्रिय को मंत्रालय के निकट वाली ही इमारत में बड़ा फ्लैट चाहिए। वहां उन्हें फ्लैट अलॉट भी हो चुका है। क्षत्रिय मौजूदा चीफ मिनिस्टर से नजदीकी माने जाते हैं। इन्हीं रिश्तों का लाभ उठाते हुए 15 मई 2017 तक बंगले में रहने की अनुमति उन्होंने हासिल कर ली है। इन्होंने चीफ सेक्रेटरी को अलॉट किया गया बंगला खाली नहीं किया है। लिहाजा नए चीफ सेक्रेटरी सुमित मल्लिक बिना बंगला ही काम चला रहे हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने इस मामले को उजागर करते हुए सवाल उठाया है कि दो-दो फ्लैट होते हुए स्वाधीन क्षत्रिय को सरकारी क्वॉटर्स क्यों चाहिए? जिन्हें वास्तव में मुंबई में आवास की जरूरत हैं, ऐसे अफसरों को सरकारी क्वाटर्स अलॉट किए जाने चाहिए। उनका कहना है कि सरकार सहूलियत की बदौलत सस्ते दाम पर मिले फ्लैट अपने नाम कराए। फिर इन्हीं को किराए पर उठाकर कमाई कमानेवाले ऐसे बाबुओं को सरकार क्वाटर्स बिलकुल नहीं दिए जाने चाहिए। 

स्वाधीन क्षत्रिय ने संपत्ति का जो ब्यौरा सरकार से सौंपा हैं, उसी में दोनों फ्लैटों का विवरण दिया गया है। बांद्रा पूर्व स्थित 'साईप्रसाद' इमारत में इनका फ्लैट है, जिस पर सालाना 12 लाख किराया क्षत्रिय कमाते हैं । सरकारी जमीन पर यह इमारत बनी है। इनका दूसरा फ्लैट नेरुल स्थित 'वनश्री' इमारत में है, जो सालाना 8 लाख की कमाई इनको कराता हैं। सिडको की जमीन पर बनी इस सोसायटी में इनका दूसरा फ्लैट है। अनिल गलगली ने मुंबई और ठाणे में मकान का स्वामित्व रखनेवाले किसी भी सरकारी बाबू को मुंबई में क्वाटर्स न देने की अपील मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से की हैं ताकि अन्य जरुरतमंदों को इसका लाभ मिल सके।

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