Friday 24 March 2017

अश्विनी जोशी पैटर्न की आस से 92 लाख का बकाया किराया नहीं अदा करते सरकारी बाबू

सेवानिवृत्ती और तबादले के बाद भी सरकारी क्वार्टर में अवैध तरीके से निवास करनेवाले 11 वर्तमान और भूतपूर्व अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ में सार्वजनिक निर्माण विभाग ने सक्षम प्राधिकारी के कोर्ट में दावा दायर किया हैं। इसका खुलासा आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को दी गई जानकारी से हुआ हैं।  कुल 91 लाख 48 हजार 503 रुपए की वसूली और निष्कासन की लिस्ट में जिन अधिकारियों के नाम हैं उनमें वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अशोक कुमार शर्मा, महाराष्ट्र राज्य औद्योगिक विकास मंडल के महाप्रबंधक राजेंद्र अहिवर, आईएएस कमलाकर फंड, पुलिस विजिलेंस कमिटी के सदस्य पी के जैन, सुधीर जोशी शामिल हैं।जिलाधिकारी अश्विनी जोशीे की तर्ज पर बकाया मुख्यमंत्री माफ करेंगे, इस विश्वास से बकायेदार बकाया अदा तो नहीं कर रहे हैं ना? ऐसी चर्चा मंत्रालय में हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सरकारी क्वार्टर में अवैध तरीके से रहनेवाले अधिकारी और कर्मचारियों की जानकारी सार्वजनिक निर्माण विभाग के पास मांगी थी। सार्वजनिक निर्माण विभाग ने अनिल गलगली को सरकारी क्वार्टर में अवैध तरीके से रहनेवाले 11 वर्तमान और भूतपूर्व अधिकारी और कर्मचारियों की लिस्ट दी जिनपर जुर्माने के रेट से किराए की रकम 91 लाख 48 हजार 503 रुपए इतनी हैं। इस लिस्ट में 6 अधिकारियों ने तबादला होने के बाद सरकारी क्वार्टरस छोड़ा नहीं उनमें आईएएस अधिकारी कमलाकर फंड पर 24,15,496 रुपए, महाराष्ट्र राज्य औद्योगिक विकास मंडल के महाप्रबंधक राजेंद्र अहिवर पर रु 5,96,260/-, उप जिलाधिकारी धनाजी तोरस्कर पर रु 6,04,400/-  रुपए, सुधीर जोशी पर रु 8,21,852/-, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अशोक कुमार शर्मा पर रु 4,97,335/- और अशोक सोलनकर पर रु 2,14,847/- इतनी रकम बकाया हैं।

3 रिटायर्ड जजों में प्रकाश कुमार राहुले पर 6,93,085 रुपए, प्रकाश राठौड़ पर 7,96,375 रुपए, टी.एम. जहागीरदार 4,86,036 रुपए पर इतनी रकम बकाया हैं।  रिटायर्ड आईएएस सुधीर खानापुरे पर 2,65,545 रुपए और प्रेमकुमार जैन पर 17,57,272 रुपये बकाया हैं।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा नियुक्त किए गए महाराष्ट्र राज्य पुलिस विजलेंस कमिटी के सदस्य प्रेमकुमार जैन जो भूतपूर्व गृह विभाग के प्रधान सचिव थे उनपर 17,57,272 रुपए आना शेष हैं। जैन ने बकाया दंड राशि अदा तो नहीं की उल्टे दिवाणी न्यायालय में राज्य सरकार को ही आरोपी के पिंजरे में खड़ा किया। कोर्ट के आदेश के बाद क्वार्टर रिक्त किया। ऐसे बकाएदार को दंडित करने के बजाय राज्य सरकार ने विजलेंस कमिटी पर उन्हें नामित करते हुए अभयदान दिया।

अनिल गलगली के अनुसार जो सरकारी सेवा में हैं उनपर तत्काल कारवाई कर बकाया धनराशि उनके वेतन से वसूली जाए और जो सेवा में नहीं है उनके पेंशन से बकाया धनराशि वसूली जानी चाहिए। अश्विनी जोशी का दंड वाला किराया माफ़ करने से अब हर एक अधिकारी किराया अदा करने के बजाय उसे माफ करने के फ़िराक में हैं।

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