Sunday 31 December 2017

चीफ फायर ऑफिसर प्रभात रहांगदळे को आपने देखा हैं क्या?

मुंबई के साकीनाका से कमला मिल परिसर में लगी आग के बाद जिस फायर ब्रिगेड की भूमिका महत्वपूर्ण हैं उस विभाग के चीफ फायर ऑफिसर प्रभात रहांगदळे देश में हैं या विदेश में,  इसकी जिज्ञासा बनी हुई हैं। एक ही सप्ताह में 2 स्थानों पर आग लगने के बाद भी रहांगदळे ड्यूटी पर हाजिर नहीं हुए ना उन्हें बुलाने का कष्ट मनपा प्रशासन नव लिया हैं, यह कोई मुंबई मनपा के शान में इजाफा करने वाली बात न होने की टिप्पणी अनिल गलगली ने की हैं।

मुंबई में कुर्ला एल वॉर्ड में साकीनाका स्थित भानु फरसाण मार्ट में लगी आग में  12 लोगों की मौत हुई वहीं कमला मिल कंपाऊंड स्थित पब में लगी आग में 14 लोगों की मौत हुई। महाराष्ट्र अग्निशमन प्रतिबंध और जीवन सुरक्षितता, 2006 कानून कार्यान्वित करने की जिम्मेदारी जिस चीफ फायर ऑफिसर की हैं जबकि आज तक किसी के खिलाफ ठोस कारवाई होते हुए दिख नहीं पाई। 

आग की घटना के बाद छुट्टी रद्द कर रहांगदळे डयूटी पर हाज़िर नहीं हुए हैं, यह सबसे चौंकानेवाली बात होने का दावा अनिल गलगली ने किया हैं। अनिल गलगली के अनुसार महाराष्ट्र अग्निशमन प्रतिबंध और जीवन सुरक्षितता, 2006 कानून को समय रहते अमल में लाने में रहांगदळे पूरी तरह फेल हुए हैं और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इसे संज्ञान में लेकर ऊचित कारवाई करे।

प्रमुख अग्निशमन अधिकारी प्रभात रहांगदळे यांना कोणी पाहिले का?

मुंबईतील साकीनाका पासून कमला मिल आवारात लागलेल्या आगीनंतर ज्या अग्निशमन दलाची भूमिका महत्त्वाची असते त्या दलाचे प्रमुख अग्निशमन अधिकारी प्रभात रहांगदळे देशात आहेत की परदेशी आहेत, याबाबत कुतुहल निर्माण झाले आहे. एकाच आठवड्यात दोन ठिकाणी लागलेल्या आगीनंतरही रहांगदळे यांस कर्तव्यावर पाचारण करण्यात आले नाही ना ते स्वतः आले, ही बाब मुंबई महापालिकेसाठी भूषणावह नसल्याची टीका अनिल गलगली यांनी केली आहे.

मुंबईतील कुर्ला एल वॉर्डातील साकीनाका येथील भानु फरसाण मार्ट येथे लागलेल्या आगीत 12 जणांचा मृत्यु झाला तर कमला मिल कंपाऊंड मधील पब मध्ये लागलेल्या आगीत 14 जणांचा मृत्यु झाला. महाराष्ट्र अग्निशमन प्रतिबंध आणि जीवन सुरक्षितता, 2006 कायदा कार्यान्वित करण्याची जबाबदारी प्रमुख अग्निशमन अधिकारी यांची असून आज एकाही आस्थापनाविरोधात ठोस कारवाई झाल्याची बाब दिसून येत नाही. 

आगीच्या घटनेनंतर ही सुट्टी रद्द करत रहांगदळे कामावर हजर झाले नाहीत, ही बाब फारच आश्चर्यकारक असल्याचे मत अनिल गलगली यांनी व्यक्त केले. अनिल गलगली यांच्या मते महाराष्ट्र अग्निशमन प्रतिबंध आणि जीवन सुरक्षितता, 2006 कायदाची अंमलबजावणी वेळीच करत उपाययोजना करण्यात रहांगदळे सपशेल अपयशी ठरले असून मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी दखल घेत योग्य कार्यवाही करण्याची मागणी अनिल गलगली यांची आहे.

Chief Fire Officer Missing!

The Chief Fire Officer of MCGM Prabhat Rahangdale has not been traceable since Kamala Mill Fire Tragedy which claimed the life of 14 Citizens. This is not a first time that Mr Prabhat Rahangdale has been found missing from the actions scene during Major Emergency Situations in Mumbai. During last Sakinaka fire disaster too, Which claimed the lives of 12 people, Prabhat Rahangdale was missing from the tragedy site. RTI Activist Anil Galgali has questioned his absence, after elapse of 72 hours of Kamala Mill Fire Tragedy. Fire brigade department in Mumbai has not been able to confirm whether thier Chief was in India or Abroad. Even while the fire brigade is under scanner for the shielding the violation of Fire Safety. 

The Maharashtra Fire prevention and life safety Measures Act, 2006 stipulates strong action against the violations and lays down the guidelines to be followed by Fire Safety agencies. Galgali has express surprise that " Chief Culprit" is missing even while his department faces flake by Govt and Public. Galgali has written to Chief Minister Devendra Fadnavis and requesting him to take appropriate action against the officer who are direct or indirectly involved in large scale of violation of law.

Wednesday 27 December 2017

AC लोकल की आड़ में पश्चिम रेलवे बंद की गई 12 ट्रिप पुनः शुरु कर यात्रियों को सुविधा बहाल की जाए

मुंबई में पश्चिम रेलवे ने रोजाना की 12 सामान्य ट्रिप को रद्द कर उसके बदले में AC ट्रेन की 12 ट्रिप शुरु की हैं। यानी आम यात्रियों की ट्रिप में कटौती कर AC सेवा शुरु की गई हैं जिसके चलते अब करीब 50 हजार यात्रियों को असुविधा होगी। यह बेहद असंतोषजनक और मूर्खता वाला निर्णय हैं होने का आरोप लगाकर आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रेलवे मंत्री पीयूष गोयल को चिठ्ठी लिखकर मांग की हैं कि  AC लोकल की आड़ में पश्चिम रेलवे बंद की गई 12 ट्रिप पुनः शुरु कर यात्रियों को सुविधा बहाल की जाए।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली के अनुसार आज 35 लाख यात्री पश्चिम रेलवे से यात्रा करते हैं। 12 ट्रिप बंद की गई हैं जिससे करीब 50 हजार यात्रियों को परेशानी होगी। रेलवे अधिकारियों ने 12 बिना AC वाली ट्रिप को रद्द कर उसके बदले AC गाड़ी की 12 ट्रिप चलाने का निर्णय बेहद अन्यायपूर्ण और तर्क से परे हैं। रेलवे अधिकारियों ने कहीं सरकार और रेलवे मंत्री को खुश करने के लिए इसतरह का बेहूदा निर्णय लिया हो तो उन अधिकारियों को घर पर आराम करने के लिए भेजना उचित होगा क्योंकि AC ट्रेन के नाम पर बिना AC वाली 12 ट्रिप रद्द कर 50 हजार यात्रियों को दुविधा में डालने का काम किया गया हैं। कहीं AC ट्रेन से बेहतर सुविधाएं और विकास का प्रयास भविष्य में गलत इसलिए साबित होगा क्योंकि बिना AC वाली 12 ट्रिप को रद्द कर उसके बदले में AC की 12 ट्रिप शुरु करने का काम हुआ हैं। इसलिए जल्द से जल्द पुरानी 12 ट्रिप शुरु कर यात्रियों को सुविधा बहाल की जाए और 12 ट्रिप को पुनः शुरु करना बेहतर होने की बात अनिल गलगली ने कहीं हैं।

एसी लोकलच्या नावावर पश्चिम रेल्वेने बंद केलेल्या 12 फे-या पुन्हा सुरु करण्यात याव्यात

मुंबईत पश्चिम रेल्वेने दररोजच्या 12 सामान्य फे-या रद्द करत त्याऐवजी एसी लोकलच्या 12 फे-या सुरु केल्या आहेत. म्हणजे सामान्य प्रवाशांच्या तब्बल 12 फे-या कमी करत एसी सेवा सुरु केल्या आहेत. यामुळे आता 50 हजार प्रवाशांना त्रास होईल. हे फारच निराशाजनक आणि चुकीचा निर्णय असल्याचा आरोप करत आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी पंतप्रधान नरेंद्र मोदी आणि रेल्वे मंत्री पीयूष गोयल यांस पत्र पाठवित मागणी केली आहे की एसी लोकलच्या नावावर पश्चिम रेल्वेने बंद केलेल्या 12 फे-या पुन्हा सुरु करत प्रवाशांना दिलासा दयावा. ।

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांच्या मते आज 35 लाख प्रवासी पश्चिम रेल्वेने प्रवास करतात. 12 फे-या बंद केल्यामुळे 50 हजार प्रवाशांना त्रास होणार आहे. रेल्वेच्या अधिका-यांनी 12 विना AC असलेल्या फे-या रद्द करत त्याऐवजी एसी लोकलच्या 12 फे-या चालविण्याचा घेतलेला निर्णय अन्यायकारक आणि वस्तुस्थितीला धरुन नाही.  रेल्वे अधिका-यांनी सरकार आणि रेल्वे मंत्री यांस खूष करण्यासाठी असा विचित्र निर्णय घेतला असल्यास अश्या अधिका-यांस घरी विश्राम करण्यासाठी पाठविणे योग्य होईल कारण एसी लोकलच्या नावाखाली विना एसी असलेल्या 12 फे-या बंद करत 50 हजार प्रवाशांना अडचणीत आणले आहेत. कदाचित एसी लोकल सुविधाच्या नादात चांगली सेवा आणि विकासाचा प्रयत्न भविष्यात चुकीचा सिद्ध होईल कारण विना एसी असलेल्या 12 फे-या रद्द करत त्याऐवजी एसी लोकलच्या 12 फे-या सुरु करण्यात आल्या आहेत. यासाठी लवकरात लवकर पूर्वीच्या 12 फे-या सुरु करत प्रवाशांना दिलासा दयावा आणि 12 फे-या सुरु करण्यात रेल्वेची भलाई असल्याचे मत अनिल गलगली यांनी व्यक्त केले.

Commuter's inconvenienced by AC local, 12 trips of normal services disrupted

The Services of AC local launched with much fanfare is at the cost of hardships for more than 50000 passengers who have been inconvenienced due to the disruption of the regular local trains plying on those schedule which has been now given to AC locals. The provision of AC local services by causing disruption and inconvenience to the common passengers is one of the most foolish decisions of the Railway board stated RTI Activist Inna letter addressed to PM Narendra Modi and Railway Minister Piyush Goyal. He has further appealed that the regular services be immediately restored.

According to Anil Galgali, almost 35 lakhs passengers utilise the services of Western Railway daily. By replacing 12 trips with AC local, almost 50000 passengers have become inconvenienced. The decision of the Railway's to discontinue 12 regular train trips and replace them with AC locals is an unjust decision which is beyond understanding. The decision taken by those authorities to please the government and Railway Minister should be sent home to rest because more than 50000 passengers have been inconvenienced by the foolish decision. The decision of replacement of regular service with AC local services in the name of better services and Development will spell trouble for the Railways as it is inconveniencing the general commuters, hence it advisable that the regular services be immediately restored and new slots without disturbing the regular slots be created by the Railway's, said Galgali.

Monday 25 December 2017

AC गाड़ी में First Class के यात्रियों को यात्रा करने की अनुमति दे

रेलवे मंत्रालय द्वारा शुरु होनेवाली AC गाड़ी में First Class के यात्रियों को यात्रा करने की अनुमति प्रदान करने की मांग आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने रेलवे मंत्री पीयूष गोयल को लिखे हुए पत्र में की हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने रेलवे मंत्री, राज्यमंत्री सहित चेयरमेन को लिखे पत्र में कहा हैं कि  आज मुंबई उपनगरीय रेलवे सेवा में First Class के डिब्बे में भारी भीड़ रहती हैं। ऐसे में जो AC गाड़ी चलने वाली हैं उसमें First Class के पास धारक यात्रियों को यात्रा करने की अनुमति दी जाती हैं तो नई गाड़ी रिक्त नहीं जाएंगी। जब उस पासधारक का पास खत्म होगा तब किसी यात्री की इच्छा होगी तो उसके पास में अतिरिक्त शुल्क लेकर AC गाड़ी के साथ अन्य गाड़ियों में First Class में यात्रा करने की अनुमति दे। जिससे AC गाड़ी में यात्रा करने के लिए यात्री मिलेंगे अन्यथा AC गाड़ी यात्रियों के बिना चलाने की मजबूरी आएंगी। क्योंकि AC गाड़ियों की संख्या अन्य गाड़ियों की तुलना में कम होगी। जिससे AC गाड़ी के इंतजार में खड़े रहने की मजबूरी किसी यात्री को न आन पड़े।

AC गाडीत First Class च्या प्रवाश्याना प्रवास करण्याची परवानगी दयावी

रेल्वे मंत्रालय तर्फे सुरु होणाऱ्या AC गाडीत First Class च्या प्रवाश्याना प्रवास करण्याची परवानगी देण्याची मागणी आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी रेल्वे मंत्री पीयूष गोयल यांस लिहिलेल्या पत्रात केली आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी रेल्वे मंत्री, राज्यमंत्री समेत  रेल्वेचे चेयरमेन यांस लिहिलेल्या पत्रात स्पष्ट केले आहे की आज मुंबई उपनगरीय रेल्वे सेवेत First Class च्या डब्ब्यात प्रचंड गर्दी असते. अश्या परिस्थितीत जी AC गाडी सुरु होणार आहे त्यात First Class च्या पासधारक प्रवाश्याना त्या गाडीत प्रवास करण्याची परवानगी दिली तर नवीन गाडी रिकामी जाणार नाही. जेव्हा पासधारकाच्या पासची मुदत संपेल तेव्हा त्या प्रवाश्याची इच्छा असेल तर नवीन पास मध्ये अतिरिक्त शुल्क आकारत AC गाडी समेट अन्य गाडीत First Class च्या डब्ब्यात प्रवास करण्याची परवानगी दयावी. यामुळे  AC गाडीत प्रवास करण्यासाठी प्रवासी मिळतील अन्यथा AC गाडी प्रवासी विना चालवण्याची नामुष्की येईल. कारण AC गाड्याची संख्या अन्य गाड्याच्या तुलनेत कमी असणार. जेणेकरुन AC गाडीसाठी प्रतीक्षा करण्याची वेळ येणार नाही.

Western railway should permit First Class commuters to travel in AC local

In a letter addressed to Railway Minister Piyush Goyal, RTI Activist Anil Galgali has requested that the first class commuters be permitted to travel in the newly launched AC local on Western Railway.

RTI Activist Anil Galgali has in a letter addressed to Railway Minister Piyush Goyal, MOS Railway and Chairman Railway Board requested that the first class commuters be permitted to travel in the newly being launched AC local on the western railway looking at the huge rush in the first class and also the chances of the AC local running empty in the initial stages. This will ensure that the load is distributed and will acclimatise the First Class commuters to the AC local and in the later stage the first class commuter can renew the passes at a small increased charges for permanently traveling in AC local. Also the frequency of AC local would be less thereby a continuous service to the commuters would be lesser and hence they can switch to regular local. This would ensure that the AC local gets commuters and not forced to run empty and commuters are not force to wait for next AC local, said Galgali.

Friday 22 December 2017

अदानी ने खरीदी रिलायंस बिजली कंपनी अब 1452 करोड़ का बकाया कौन अदा करेगा? 

मेसर्स रिलायंस एनर्जी इस अनिल अंबानी की कंपनी ने उपभोक्ताओं ने इस्तेमाल किए इलेक्ट्रिसिटी पर इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी और यूूनिट पर  इलेक्ट्रिसिटी टैक्स उपभोक्ताओं सेे वसूल कर सरकारी एकाउंट में रु 1452 करोड़ जमा किए नहीं है। गौतम अदानी ने रिलायंस बिजली कंपनी खरीदने के बाद अब यह बकाया राशि कौन अदा करेंगा? इसपर कोई स्पष्टता नहीं हैं।अक्टूबर 2016 से अक्टूबर 2017 इन 13 महीनों में रु  1451,69,15,200/- इतनी  रकम बकाया होने की चौकानेवाली जानकारी सरकार के इलेक्ट्रिसिटी इंस्पेक्टर ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को दी थी।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महाराष्ट्र सरकार से मेसर्स रिलायंस एनर्जी कंपनी ने की इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी और इलेक्ट्रिसिटी टैक्स की बकाया रकम की जानकारी मांगी थी। सांताक्रूज निरीक्षण विभाग की इलेक्ट्रिसिटी इंस्पेक्टर  मिनाक्षी वाठोरे ने अनिल गलगली को बताया कि उनके कार्यालय में इलेक्ट्रिसिटी टैक्स की शाखा जून 2017 से कार्यान्वित हुई हैं। जून 2017 इस महीने में इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी की रकम रु 103,85,87,500/- और इलेक्ट्रिसिटी टैक्स की रकम रु 14,14,58,200/- इसे 31 जुलाई 2017 तक अदा नहीं किया। उसके बाद जुलाई, अगस्त, सितंबर और अक्टूबर 2017 इन 4 महीने की इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी रु 419,10,84,100/- और इलेक्ट्रिसिटी टैक्स में रु 43,14,99,900/- टॉस ( 0.15 पैसे ) एवं रु 11,24,23,800/- ग्रीन सेस (0.08 पैसे) ऐसे कुल

मिलाकर रु 473,50,07,800/- इतनी रकम अदा नहीं की हैं। कुल मिलाकर जून 2017 से अक्टूबर 2017 इन 5 महीने का कुल रु 591,50,53,500/- इतनी रकम बकाया हैं। मुंबई सेंट्रल स्थित विद्युत निरीक्षक, मुंबई निरीक्षण विभाग ने अनिल गलगली को बताया कि अक्टूबर 2016 से मई 2017 इन 8 महीनों की रु 860,18,61,700/- इतनी रकम अदा नहीं की हैं।

महाराष्ट्र इलेक्ट्रिसिटी डयूटी अधिनियम 2016 में नियम 11 के अनुसार इलेक्ट्रिसिटी डयूटी और इलेक्ट्रिसिटी टैक्स तयशुदा समय पर अदा नहीं करने पर पहिले 3 महीने के लिए वार्षिक 18 प्रतिशत रेट और उसके बाद रकम  करने तक वार्षिक 24 प्रतिशत रेट से ब्याज वसूला जाएगा। अनिल गलगली की आरटीआई के बाद गहरी नींद से उठते हुए दिनांक 3 नवंबर 2017 को इलेक्ट्रिसिटी इंस्पेक्टर मिनाक्षी वाठोरे ने महाप्रबंधक, मेसर्स रिलायंस एनर्जी को पत्र भेजकर बकाया इलेक्ट्रिसिटी डयूटी और इलेक्ट्रिसिटी टैक्स ब्याजसहित अदा करने के निर्देश जारी किए है। मुंबई निरीक्षण विभाग ने भी मेसर्स रिलायंस कंपनी को कारण बताओ नोटीस जारी किया हैं।

अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को  पत्र भेजकर मेसर्स रिलायंस एनर्जी कंपनी से इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी और टैक्स की बकाया राशि ब्याज सहित वसूल करने की मांग की हैं। रिलायंस वीज कंपनी से जुड़े सभी बैंक एकाउंट का ऑडिट होता नहीं और जबतक सभी प्रकार का इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी और टैक्स वसूल होता नहीं हैं तबतक रिलायंस बिजली कंपनी की बिक्री को मान्यता नहीं दे, ऐसी मांग अनिल गलगली ने की थी। जिसपर किसीं भि तरह की कारवाई नहीं हुई उल्टे रिलायंस कंपनी के अनिल अंबानी ने जल्दबाजी करते हुए अदानी को बिजली कंपनी बेचकर निकल लिए। अब 1452 करोड़ की बकाया राशि कौन अदा करेंगे? इसका खुलासा अनिल अंबानी या गौतम अदानी से महाराष्ट्र सरकार लेकर इसकी  स्पष्टता करे, ऐसी मांग अनिल गलगली की हैं।

अदाणीने विकत घेतली रिलायंस वीज कंपनी आता 1452 कोटींची थकबाकी कोण अदा करणार? 

मेसर्स रिलायंस एनर्जी या अनिल अंबानीच्या कंपनीने ग्राहकांकडून वापरलेल्या विजेच्या आकारावरती विद्युत शुल्क आणि वापरलेल्या युनिट वरील विजकर ग्राहकांकडून वसूल करुन शासनाच्या खात्यांमध्ये रु 1452 कोटी जमा केली नाही. गौतम अदाणी यांनी रिलायंस वीज कंपनी विकत घेतली असून आता ही थकबाकी कोण अदा करणार? याबाबत अद्यापही कोणतीही स्पष्टता नाही. ऑक्टोबर 2016 ते ऑक्टोबर 2017 या 13 महिन्याचे 1451,69,15,200/- इतकी रक्कम थकविले असल्याची धक्कादायक माहिती शासनाच्या विद्युत निरीक्षकांनी आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस कळविली आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी महाराष्ट्र शासनाकडे मेसर्स रिलायंस एनर्जी कंपनीने विद्युत शुल्क आणि विज करांची शिल्लक रक्कम बाबत माहिती विचारली होती. सांताक्रूझ निरीक्षण विभागाचे विद्युत निरीक्षक मिनाक्षी वाठोरे यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की त्यांच्या कार्यालयामध्ये विद्युत करशाखा माहे जून 2017 पासून कार्यान्वित झाली आहे. जून 2017 या महिन्याचे रु 103,85,87,500/- रक्कम विद्युत शुल्क आणि रु 14,14,58,200/- इतकी कर रक्कम हे 31 जुलै पर्यंत 2017 अदा केली नाही त्यानंतर जुलै, ऑगस्ट, सप्टेंबर आणि ऑक्टोबर 2017 या 4 महिन्याचे रु 419,10,84,100/- इतकी रक्कम विद्युत शुल्क, रु 43,14,99,900/- टॉस ( 0.15 पैसे ) आणि रु 11,24,23,800/-  ग्रीन सेस (0.08 पैसे) असे एकूण रु 473,50,07,800/- रक्कम अदा केली नाही. एकंदरीत जून 2017 ते ऑक्टोबर 2017 या 5 महिन्याचे 591,50,53,500/- इतकी रक्कम थकविली गेली आहे. मुंबई सेंट्रल येथील विद्युत निरीक्षक, मुंबई निरीक्षण विभागाने अनिल गलगली यांस कळविले की ऑक्टोबर 2016 ते मे 2017 या 8 महिन्याचे रु 860,18,61,700/- इतकी रक्कम अदा केली नाही.

महाराष्ट्र विद्युत शुल्क अधिनियम 2016 मधील नियम 11 अनुसार विद्युत शुल्क व विजकर विहित वेळेत भरणा न केल्यास पहिल्या 3 महिन्यांकरिता वार्षिक 18 टक्के दराने व त्यानंतर रक्कम चुकती करण्यात येईपर्यंत वार्षिक 24 टक्के दराने व्याज आकारले जाते. अनिल गलगली यांच्या आरटीआय नंतर खडबडून जागे होत दिनांक 3 नोव्हेंबर 2017 रोजी विद्युत निरीक्षक मिनाक्षी वाठोरे यांनी महाव्यवस्थापक, मेसर्स रिलायंस एनर्जी यांस पत्र पाठवून प्रलंबित विद्युत शुल्क व विजकराचा भरणा व्याजासहित करण्यास कळविले आहे. तर मुंबई निरीक्षण विभागाने मेसर्स रिलायंस कंपनीला कारणे दाखवा नोटीस जारी केली आहे.

अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस पत्र पाठवून मेसर्स रिलायंस एनर्जी कंपनीकडून विद्युत शुल्क आणि विज करांची शिल्लक रक्कम व्याजासह वसूल करण्याची मागणी केली आहे. तसेच रिलायंस वीज कंपनीच्या बँकेच्या खात्याचे ऑडिट करत जोपर्यंत सर्व प्रकाराचे शुल्क आणि कर वसूल होत नाही तोपर्यंत रिलायंस वीज कंपनीच्या विक्रीस मान्यता देऊ नये, अशी मागणी गलगली यांनी केली होती पण अजूनही त्यावर कोणत्याही प्रकारची कार्यवाही झाली नाही उलट रिलायंस कंपनीच्या अनिल अंबानी यांनी घाईघाईने अडाणी यांस वीज कंपनी विकून मोकळे सुद्धा झाले. आता 1452 कोटींची थकबाकीची रक्कम कोण अदा करणार आहे? यांचे स्पष्टीकरण अनिल अंबानी किंवा गौतम अडाणी यांसकडून महाराष्ट्र शासनाने घेत स्पष्टता करावी, अशी अनिल गलगली यांची मागणी आहे.

Adani takes over Reliance Energy, no clarity on who will pay the taxes of Rs 1452 crores

As it has been revealed that the Anil Ambani owned Reliance Energy had collected Rs 1452 crores from its customers on Account of Electricity surcharge and Electricity sales tax and has not paid the same to the govt, now the moot questions that has emerged after Gautam Adani's takeover of Reliance Energy as to who will pay the tax dues to the govt. M/s Reliance Energy owned by Anil Ambani had collected from its consumers on account of Electricity surcharge and Electricity sales tax on the utilised units to a tune of Rs 1452 crores, but has not paid the amount collected to the government treasury. Now that this company has been purchased by Gautam Adani there is no clarity on who has to pay the govt it's dues.

In a shocking revelations through his RTI query, Activist Anil Galgali has come to know that Anil Ambani owned M/s Reliance Energy has not paid Electricity Duty and other taxes amounting to Rs 1,452 crore to the government of Maharashtra which it recovered from the customers. The electric distribution arm of the Junior Ambani recovered this amount of Rs 14,51,69,15,200 from its customers during the month of Oct 2016 to October 2017 and has not transferred this money in government's exchequer," RTI has unearthed.

RTI Activist Anil Galgali had sought to know the status of electricity duty and electricity tax paid to the government of Maharashtra by the Reliance Energy after it recovered from the customers. The reply furnished by the Electricity Inspector of Santacruz division Minakshi Wathore stated that ever since in June this year electricity tax branch was opened, Reliance have recovered Rs 591,50,53,500 in last five months from June 2017 to October 2017 in the different heads of Electricity Duty, electricity Tax, Toss and Green Cess as per prescribed rate. But fail to transfer to Govt. While electricity Inspector at Mumbai Central division informed Galgali that from Oct 2016 to May 2017 in the different heads of Electricity Duty, electricity Tax, Toss and Green Cess, Reliance  has recovered Rs 860,18,61,700 from the customers but yet to transfer the money to the government.

Commenting over the brazen violation of not paying the duty to the government on time, Galgali said that when he filed the RTI query with the Govt, then the officials woke up and issued notice to the company to pay the duty.  According to Galgali, Minakshi Wathore issued instructions to the General Manager of Reliance to pay the duty on Novermber 3 & Mumbai Division issue show cause notice to Reliance.

However, Anil Galgali has written a letter to the Chief Minister Devendra Fadnavis and demanded stern action against not only the Reliace company, but also against the earring officials. In a letter Galgali had demanded that the government should conduct an audit on the Reliance Energy's bank account and freeze the bank account to recover the dues and also should not approve the sale of Reliance Energy till the taxes are paid. Paying no heed to the demand the government has sat silent and in the meanwhile Reliance has been sold to Adani hurriedly by Ambani and has exited himself. The govt should now seek clarity from Adani and Ambani on who will be paying the government dues, demanded Galgali.

Wednesday 20 December 2017

नौसेना के अड़ियल रवैये से 42 वर्ष से डाक विभाग को नहीं मिल रही हैं भांडुप की जमीन 

भारत सरकार के 2 विभाग में समन्वय नहीं होने से जमीन का कब्जा पाने के लिए कसरत कैसे करनी पड़ती हैं ? इसका ज्वलंत उदाहरण मुंबई के नौसेना की जमीन का हैं। गत 42 वर्षों से प्रत्यक्ष डिमार्केशन न होने से आज भी डाक विभाग को खरीदी हुई जमीन पर डाक विभाग की बिल्डिंग बनाना संभव नहीं हो पाने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को भारतीय डाक विभाग ने दी हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने भारतीय डाक विभाग को कांजूरमार्ग पश्चिम स्थित नौसेना के अधिकार वाली जमीन को लेकर जानकारी मांगी थी। भारतीय डाक विभाग के लीगल और बिल्डिंग विभाग ने अनिल गलगली को बताया कि रक्षा मंत्रालय से दिनांक 26 फरवरी 1973 को 13,200 वर्ग फूट जमीन भारतीय डाक विभाग ने खरीदी थी और उसका ताबा दिनांक 5 दिसंबर 1975 को भले ही लिया गया लेकिन कॉलनी में बड़े पैमाने पर निर्माण काम होने डाक विभाग को दी गई जमीन कहां पर हैं?  इसे ढूंढना संभव नहीं हो पाया। दिनांक 7 फरवरी 1966 को रु 26,400/- इतनी रकम में पवई नौसेना कॉलनी में 13,200 वर्ग फूट जमीन नियोजित की गई थी। नौसेना ने जमीन का डिमार्केशन करने में बरती देरी से इस जमीन पर भारतीय डाक विभाग बिल्डिंग नहीं बना पाई। लगातार जद्दोजहद करने के बाद नौसेना के प्रशासकीय विभाग ने कौनसी जमीन देनी हैं, इसका सही स्थान दिखाने की तैयारी बताई। उसके बाद लीगल और बिल्डिंग विभाग के सहायक निर्देशक के मार्गदर्शन में भारतीय डाक विभाग की टीम और नौसेना के कमांडर- महा मुजावर ने संयुक्त तौर पर दिनांक 19 अप्रैल 2017 को जमीन का जायजा लेकर इस जमीन पर बिल्डिंग बनाने पर सहमति जताई। दिनांक 23 मई 2017 को उस जमीन का डिमार्केशन करने की बात तय हुई लेकिन फिर एक बार नौसेना के प्रशासकीय विभाग के असहयोग से बिल्डिंग का निर्माण अटक गया। भारतीय डाक विभाग ने इस जमीन पर 5,000 वर्ग फुट पर बिल्डिंग बनाने को मान्यता मिल गई हैं।

नौसेना के प्रशासकीय विभाग ने डिमार्केशन न करने से अब भारतीय डाक विभाग ने दिनांक 22 अगस्त 2017 को नौसेना के पश्चिम क्षेत्र के रिअर ऍडमिरल प्रदीप जोशी के पास गृहार लगाई हैं। वहां से अबतक किसी भी प्रकार का प्रतिसाद नहीं मिला हैं। इस जमीन पर 'आदर्श ' जैसी नई बिल्डिंग तो खड़ा करने की मंशा तो नहीं है ना? ऐसा संदेह इसलिए हो रहा हैं क्योंकि एक सरल डिमार्केशन करने के लिए नौसेना का प्रशासकीय विभाग इतनी देरी लगा रहा है।

अनिल गलगली ने जमीन का सरल डिमार्केशन करने के लिए नौसेना के प्रशासकीय अधिकारियों को शुरु धीमी कार्रवाई पर नाराजगी जताई। केंद्रीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारामन को भेजे हुए पत्र में अनिल गलगली ने धीमी गति से कारवाई करने वाले अधिकारियों की जांच कर ताबड़तोब जमीन देने की प्रक्रिया पूर्ण करने की मांग की हैं।

नौदलाच्या अडथळयामुळे 42 वर्षांपासून टपाल खात्यास मिळेना भांडुप येथील जागेचा ताबा

भारत सरकारच्या दोन खात्यात समन्वय नसल्यामुळे जमीन ताबा मिळवण्यासाठी कसरत करावी कशी लागते याचे ज्वलंत उदाहरण मुंबईतील नौदलाच्या जमिनीचे आहे. गेल्या 42 वर्षांपासून प्रत्यक्ष डिमार्केशन न झाल्यामुळे आजही टपाल खात्यास खरेदी केलेल्या जमिनीवर पोस्ट खात्याची इमारत बांधण्यास अशक्य होतं असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस भारतीय पोस्ट खात्याने दिली आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी भारतीय टपाल खात्यास कांजूरमार्ग पश्चिम येथील नौदलाच्या अखत्यारीतील जमीनीबाबत माहिती विचारली होती. भारतीय टपाल खात्याच्या विधी आणि इमारत विभागाने अनिल गलगली यांस कळविले की रक्षा मंत्रालयाकडून दिनांक 26 फेब्रुवारी 1973 रोजी 13,200 वर्ग फूट जमीन भारतीय टपाल खात्याने विकत घेतली आणि ताबा दिनांक 5 डिसेंबर 1975 रोजी जरी घेतला असला तरी या कॉलनीत मोठ्या प्रमाणात बांधकाम होत असल्यामुळे पोस्टला दिलेली जमीन कोठली आहे? याचा शोध घेता आला नाही.  दिनांक 7 फेब्रुवारी 1966 रोजी रु 26,400/- इतक्या रक्कमेस पवई नौदल कॉलनीत 13,200 वर्ग फूट जमीन नियोजित केली गेली. नौदलाने जमीनीचे डिमार्केशन करण्यात केलेल्या दिरंगाईमुळे या जमिनीवर भारतीय टपाल खात्याची इमारत बांधली जाऊ शकली नाही. सततच्या पाठपुरावानंतर नौदलाच्या प्रशासकीय विभागाने कोठली जमीन देणे आहे, त्याचे नेमके स्थान दाखविण्याची तयारी दाखविली. त्यानंतर विधी व इमारत विभागाच्या सहायक संचालकाच्या मार्गदर्शनाखाली भारतीय टपाल खात्याची टीम आणि कमांडर- महा मुजावर यांनी संयुक्तरित्या दिनांक 19 एप्रिल 2017 रोजी जागेची पाहणी करत भारतीय टपाल खात्याची इमारत बांधण्यासाठी जमीन उपयुक्त असल्याचे स्पष्ट झाले. दिनांक 23 मे 2017 रोजी त्या जमीनीचे डिमार्केशन करण्याचे मान्य केले पण नौदलाच्या प्रशासकीय विभागाच्या असहकारतेने पुन्हा एकदा इमारत बांधकाम रखडले आहे. भारतीय टपाल खाते या जमिनीच्या 5,000 वर्ग फुटावर इमारत बांधणार असून त्यास मान्यता मिळाली आहे.

नौदलाच्या प्रशासकीय विभागाने डिमार्केशन न केल्यामुळे आता याबाबतीत भारतीय टपाल खात्याने दिनांक 22 ऑगस्ट 2017 रोजी नौदलाचे पश्चिम क्षेत्राचे रिअर ऍडमिरल प्रदीप जोशी यांच्याकडे गाऱ्हाणे मांडले असून अद्यापपर्यंत तेथून कोठलाही प्रतिसाद मिळाला नाही. या जमिनीवर 'आदर्श ' सारखी नवीन इमारत तर उभी करायचा मानस तर नाही ना? अशी शंका यासाठी व्यक्त होत आहे कारण एक साधे डिमार्केशन करण्यासाठी नौदलाचे प्रशासकीय विभाग इतकी चालढकल करत आहे.

अनिल गलगली यांनी जमिनीचे साधे डिमार्केशन करण्यासाठी नौदलाच्या प्रशासकीय अधिका-यांची सुरु असलेल्या संथ कार्यवाही बाबत नाराजगी व्यक्त केली. केंद्रीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारामन यांस पाठविलेल्या पत्रात अनिल गलगली यांनी संथगतीने कार्यवाही करणा-या अधिकारी वर्गाची चौकशी करत ताबडतोब जमीन देण्याची प्रक्रिया पूर्ण करण्याची विनंती केली आहे.