Tuesday 29 November 2016

​राजनीतिक दल सूचना का अधिकार यानी RTI के दायरे में आएं

सूचना का अधिकार यानी RTI ने इस देश में नई क्रांति लाई। मौजूदा सरकार इस तथ्य को भली भांति जानती हैं। RTI राजनीतिक दल, निजी कंपनियां और अल्पसंख्याक संस्थाओं को लागू नहीं हैं। जिस यूपीए सरकार ने RTI कानून लाया उसने भी राजनीतिक दलों को इसके दायरे में लाने की जो पहल केंद्रीय सूचना आयोग ने की थी उसका विरोध किया और सभी 6 राष्ट्रीय राजनीतिक दल इसके खिलाफ एकत्र आएं ताकि RTI को ख़ारिज किया जाए। 

आज का दौर अलग हैं। काला धन को लेकर भी सभी दल एकत्र नहीं हैं। यानी RTI उस काले धन से भी भयंकर हैं जो जिसे प्यार करता हैं वह भ्रष्ट व्यक्ती हो या सार्वजनिक प्राधिकरण हमेशा हमेशा के लिए गलत काम, लेनदेन और कानून का उल्लंघन जैसे कामों से स्वयं को दूर रखता हैं। RTI पारदर्शकता और सुशासन की गारंटी देता हैं क्योंकि हर एक दस्तावेज, फाइल, नोटिंग और प्रस्ताव मंजूरी से जुड़े सभी प्रकार के कागजात आम आदमी को पाने, देखने और पढ़ने की गारंटी देता हैं।

ऐसा सशक्त और पारदर्शक कामकाज की गारंटी देनेवाला कानून उन दल और व्यक्तिओं के लिए किसी खतरे से कम नहीं हैं जो आम लोगों को सिर्फ मुर्ख बनाने में सक्रिय रहते हैं। केंद्र की नई सरकार को इसकी पहल करनी चाहिए। जो भी दल हो उनकी कामकाज की शैली, प्रक्रिया और सभी व्यवहार सार्वजनिक होते हैं तो किसी भी दल को परेशानी कैसे हो सकती हैं? RTI लागू होते ही उनकी पारदर्शकिता और बढ़ेगी। उनके दल में कार्यरत हर एक कार्यकर्ता और नेता भ्रष्टाचार से दूर रहेगा और उनकी ईमानदारी से दल को भी लाभ होगा। जैसे प्रधानमंत्री जी ने काला धन को रोकने के लिए जो पहल की उससे 125 करोड़ की जनता को भले ही परेशानी हुई लेकिन हर एक उसका स्वागत किया वैसे ही कुछ दल परेशान होंगे लेकिन भविष्य में इसका लाभ सभी राजनीतिक दलों को अवश्य मिलेगा। 

इसलिए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जी को सूचना का अधिकार यानी RTI को तवज्जों देते हुए इसे मंजूरी देते हुए सभी राजनीतिक दलों को इसके दायरे में लाकर नई क्रांति का बिगुल बजा देना चाहिए।

 

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