Monday 13 June 2016

डॉ स्वामी और सिद्धू के राज्यसभा के नामनिर्देशन पर प्रश्नचिन्ह !

राजनीति से हटकर इतर विषयों के विशेषज्ञों को संसद में स्थान देने के लिए भारतीय संविधान में 12 सदस्यों को राज्यसभा में नामनिर्देशित नामांकित करने का प्रावधान रखा गया हैं। लेकिन हाल ही में हुए राज्यसभा मनोनयन में इसका स्पष्ट उल्लंघन देखा गया जबकि सत्तारुढ बीजेपी के 2 पदाधिकारी डॉ सुब्रमण्यम स्वामी और नवज्योतसिंह सिद्धू को इस कोटे से राज्यसभा पर भेजा गया। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को गृह मंत्रालय ने दी हुई जानकारी में डॉ स्वामी को अर्थशास्त्री और सिद्धू को क्रिकेटर क्षेत्र से राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा के लिए नामनिर्देशित किया गया। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने राष्ट्रपति कार्यालय से राज्यसभा पर नामनिर्देशित किए गए सदस्यों की जानकारी और चयन की प्रक्रिया की जानकारी मांगी थी। राष्ट्रपति कार्यालय ने सीधा जबाब देने के बजाय गलगली का आवेदन केंद्रीय गृह मंत्रालय को हस्तांतरित किया। केंद्रीय गृह मंत्रालय के निदेशक आशुतोष जैन ने बताया कि राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री के अनुशंसा पर संविधान के अनुच्छेद 80(1) और 80(3) के प्रावधानों के तहत राज्यसभा के सदस्यों का नामनिर्देशित किया हैं। 11 लोगों की सूचि में 2 ऐसे नाम है जो प्रत्यक्ष और सक्रिय रुप से राजनीती से जुड़े हैं। नामनिर्देशन के समय डॉ सुब्रमण्यम स्वामी और नवज्योतसिंह सिद्धू बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य थे। बीजेपी की अधिकृत वेबसाईट पर दोनों के नाम तब से आज तक कार्यकारिणी सदस्य के तौर पर अंकित हैं। राज्यसभा के नामांकन के नियम ये स्पष्ट तौर पर कहते हैं कि " राष्ट्रपति द्वारा सदन के किसी नामनिर्देशित सदस्य को किसी राजनीतिक दल में सम्मिलित होने की अनुमति होगी यदि वह सदन में अपना स्थान ग्रहण करने के पहले छह मास के भीतर ऐसा करता/करती है" ऐसे लोगों का नामनिर्देशन वांछित हैं जो इससे पहले किसी राजनीतिक दल के सदस्य नहीं होने चाहिए, इसका हवाला देते हुए अनिल गलगली ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से अपील की हैं कि इन 2 राजनीतिज्ञों को हटाकर राज्यसभा में विशिष्ट क्षेत्र के विशेषज्ञों को स्थान दिया जाए। डॉ स्वामी 1997 तक लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में लेक्चरर हुआ करते थे और 1974 में राजनीतिक पार्टी जनसंघ से उत्तर प्रदेश से राज्यसभा चुने गए थे।4 बार वे विविध दलों से संसद की सदस्यता ग्रहण कर चुके है । राजनीति कार्य में मसरुफ़ रहे डॉ स्वामी को अर्थशाश्त्र पर अध्ययन करनेका कोई अवसर नहीं मिल पाया तथा नवज्योतसिंह सिद्धू भी 2004 से 2009 तक अमृतसर राजनीतिक दल- बीजेपी के लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं और 1998 तक क्रिकेट खेला करते थे। 18 सालों से राजनीति के अलावा टेलीविजन शो में मसरुफ़ हैं। अनिल गलगली ने राष्ट्रपति को लिखी चिठ्ठी में 2 प्रमुख आपत्ति दर्ज की हैं कि दोनों ने जिस क्षेत्र का विशेषज्ञों होने का दावा किया हैं उन क्षेत्रों में खास सक्रिय दिखाई नहीं दिए हैं। दोनों सीधे तौर पर व्यावसायिक राजनेता होने से इससे संविधान की मूल भावना को ठेस पहुंचती हैं। क्योंकि राष्ट्रपति द्वारा नामनिर्देशित किए जाने वाले सदस्य ऐसे व्यक्ति होंगे जिन्हें साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा जैसे विषयों के संबंध में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव है। अनिल गलगली ने डॉ स्वामी और सिद्धू को भी पत्र भेजकर अपील की हैं कि नैतिकता के आधार पर सदस्यत्व का त्याग कर राज्यसभा में विशिष्ट क्षेत्र के विशेषज्ञों को स्थान दिया जाए.

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