Thursday 24 March 2016

प्रधानमंत्री मोदी की सभा पर एमएमआरडीए ने खर्च किया 3.37 करोड़ रुपए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हर एक सभा और दौरा विशेष होता हैं। गत वर्ष अक्टूबर में मुंबई के दौरे पर आए मोदी के कुछ मिनटों की सभा के लिए एमएमआरडीए ने 3.37 करोड़ रुपए खर्च होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को एमएमआरडीए प्रशासन ने दी हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रविवार,11 अक्टूबर 2015 को एमएमआरडीए मैदान में आयोजित सभा पर किए गए कुल खर्च की जानकारी मांगी थी। एमएमआरडीए प्रशासन ने इस सभा पर कुल 3 करोड़ 36 लाख 81 हजार 366 रुपए खर्च होने की जानकारी दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा के लिए वाटरप्रूफ एलुमिनियम और टरर्पौलिन मंडप मेसर्स प्रताप डी टकाक्कार एंड कंपनी ने बनाया था उसपर 93 लाख 35 हजार 70 रुपए खर्च किया गया हैं। मेसर्स जेस आइडियाज प्राइवेट लिमिटेड ठेकेदार ने चेयर्स, टेबल्स,सोफास, पोडियम,कारपेट,टीपोय्स,केमिकल टॉयलेट,गेट,बर्रिक्टेस,रेलिंग,क्लोथ पार्टीशन,फ्लावर डेकोरेशन और पीने के पानी पर 1 करोड़ 12 लाख 97 हजार 104 रुपए खर्च किया तो इलेक्ट्रिकल सिस्टम, विडियो हॉल और रिले अरेंजमेंट पर 71 लाख 67 हजार 465 रुपए मेसर्स श्री कंस्ट्रक्शन इस ठेकेदार को खर्च आया। विज्ञापन पर 20 लाख 85 हजार 647 रुपए इतनी रकम खर्च हुई । जमीन एमएमआरडीए प्रशासन की होने से पैसे नहीं देने पड़े।73,500 वर्ग मीटर एरिया सभा और 36,500 वर्ग मीटर एरिया पार्किंग के लिए रिजर्व किया गया था। मेट्रो लाइन और डॉ बाबासाहेब आंबेडकर मेमोरियल के संयुक्त कार्यक्रम के लिए मराठी और अंग्रेजी भाषा में 3000 ब्राऊचर्स बनाए गए थे। एक ब्राऊचर्स पर 111 रुपए का खर्च आया। इसपर कुल 3 लाख 33 हजार 900 रुपये खर्च झाले. पोडियम लोगो, बैनर्स, स्टेज बैक ड्राप,वेलकम, डायरेक्शन और थैंक यू बोर्ड के लिए 34 लाख 62 हजार 180 रुपए खर्च हुआ हैं। एमएमआरडीए प्रशासन के अभियांत्रिकी विभाग हमेशा विकास योजना के खर्च में अतिरिक्त रकम बढ़ाने में प्रयासरत रहने की चर्चा आम हैं ऐसे में इस सभा की सरल जानकारी देने के लिए 5 महीने का लगा हुआ विलंब आर्श्चयजनक हैं। अनिल गलगली के अनुसार कुछ मिनटों की सभा के लिए इतनी बड़ी रकम खर्च की गई। राज्य में सूखाजन्य स्थिती और धन की कमी से जूझती राज्य सरकार भूमिपूजन कार्यक्रम खत्म होने के बाद करोड़ो रुपए खर्चिली जाहीर सभा लेने से परहेज करना चाहिए था, ऐसा मत अनिल गलगली ने व्यक्त किया हैं।

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