Tuesday 22 September 2015

11.32 करोड़ यात्रियों ने एसटी को किया गुडबाय

राज्य की एसटी सेवा हर एक हिस्से के यात्रियों को सेवा दे रही है। सालाना 11.32 करोड़ यात्रियों ने एसटी गुडबाय करने से संख्या कम होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को महाराष्ट्र राज्य मार्ग परिवहन महामंडल ने दी हैं। वही वर्तमान का संचित घाटा 1934 करोड़ से अधिक हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महाराष्ट्र राज्य मार्ग परिवहन महामंडल से एसटी सेवातंर्गत कुल यात्री, होनेवाला खर्च और यात्री शुल्क की जानकारी मांगी थी। महामंडल के उप महाप्रबंधक श.दा. माईनहळ् ळीकर ने अनिल गलगली को बताया कि वर्ष 2014-15 इस दौरान 245 करोड़ 60 लाख 33 हजार यात्रियों ने यात्रा की जबकि इन्हीं यात्रियों की संख्या वर्ष 2013-14 में 256 करोड़ 60 लाख 65 हजार थी। इस अवधि में यात्रियों की संख्या में 11 करोड़ 32 लाख से कम हुई हैं। वर्ष 2013-14 में प्रति किलोमीटर कमाई 25.94 रुपए वही खर्च 35.22 रुपए था और वर्ष 2014-15 में 27.57 रुपए की कमाई की तुलना में खर्च प्रति किलोमीटर 36.85 रुपए तक बढा। एसटी की गाडियों ने संपूर्ण राज्य में वर्ष 2014-15 में 208 करोड़ 48 लाख 55 हजार किलोमीटर की घुडदौड़ की जो वर्ष 2013-14 में 204 करोड़ 65 लाख 74 हजार इतनी थी। एसटी महामंडल को एसटी सेवा के लिए लगनेवाला खर्च और प्राप्त होनेवाला यात्री शुल्क को लेकर जानकारी मांगने पर अनिल गलगली को बताया गया कि वर्ष 2014-15 में कुल खर्च 7682 करोड़ 88 लाख 83 हजार हुआ वही कमाई 5748 करोड़ 11 लाख 02 हजार थी। वर्तमान का संचित घाटा 1934 करोड़ 77 लाख 81 हजार हैं। वर्ष 2013-14 में संचित घाटा 1899 करोड़ 2 लाख 65 हजार था। वर्ष 2013-14 में 5308 करोड़ 53 लाख 85 हजार की कमाई की तुलना में खर्च की रकम 7207 करोड़ 56 लाख 50 हजार इतनी थी। गत वर्ष में संचित घाटे की रकम में 35 करोड़ 75 लाख 16 हजार की लक्षणीय वृद्धी हुई हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मांग की है कि एसटी महामंडल को होनेवाला संचित घाटे को कम करने के लिए राज्य सरकार ने पहल करने की जरूरत हैं। कर्नाटक और गुजरात राज्य की तर्ज पर यात्री टैक्स में कटौती कर अनुदान दिया जाए। साथ ही में महामंडल का बढ़ता हुआ खर्च में करने का आदेश दे। संचित घाटा कम करने के लिए एसटी महामंडल सर्तकता नही लेने का आरोप लगाकर अनिल गलगली ने इस मामले में अधिकारियों पर जिम्मेदारी निश्चित करने की मांग की हैं।

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