Friday 21 August 2015

एमएमआरडीए के कार्यालयीन 'आईकॉनिक' बिल्डिंग का काम कछुवागति से

महाराष्ट्र राज्य की सूखाग्रस्त स्थिती और किसानों की आत्महत्या के मद्देनजर प्रभावितों को मदद के लिए आगे पीछे करनेवाले सत्ताधारी और सरकारी बाबू स्वयं की सुख सुविधा पर करोडो रुपए की फिजूलखर्ची कैसे करते है यह देखने के लिए जनता बीकेसी स्थित एमएमआरडीए के 'आईकॉनिक'बिल्डिंग का एक बार दर्शन जरुर ले. गत 92 महीने के बाद भी अधूरी नई बिल्डिंग पर रु 106 करोड का खर्चा होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को एमएमआरडीए प्रशासन ने दी है. कछुवागति से शुरु काम से एमएमआरडीए की तिजोरी से 19 करोड़ का अतिरिक्त धन इस योजना पर अधिक खर्च हुआ है। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन से बीकेसी स्थित एमएमआरडीए मुख्यालय के पीछे निर्माणधीन नई 'आईकॉनिक'बिल्डिंग के काम की जानकारी मांगी थी.एमएमआरडीए के कार्यकारी अभियंता और जन सूचना अधिकारी श्री मो.य.पाटील ने अनिल गलगली को बताया कि बिल्डिंग का काम दिनांक 24.12.2007 को मंजुर किया गया था. काम की मूल रकम रु 87 करोड थी और दिनांक 31.12.2012 को काम पूर्ण होना जरुरी था. 3 बार काम की समय अवधि बढाई गयी है. प्रथम अवधि दिनांक 15.09.2013, दूसरी अवधि 31.12.2014 और अब दिनांक 31.05.2015 यह नई सीमा अवधि है. रु 106 करोड नई रकम होने से कुल 19 करोड की वृद्धि हुई है. अनिल गलगली ने काम प्रलंबित होने के कारण की जानकारी मांगने पर एमएमआरडीए प्रशासन ने मूल प्लान और अन्य कामों में किया गया बदलाव के साथ मनपा, पर्यावरण विभाग और अन्य विभाग की एनओसी मिलने में होनेवाली देरी का कारण आगे किया। बिल्डिंग का निर्माण मेसर्स रेलकॉन इन्फ्राप्रोजेक्ट्स लिमिटेड,भीतरी डेकोरेशन का काम मेसर्स गोदरेज कंपनी लिमिटेड और इलेक्ट्रिक एवं एयर कंडीशन से जुडा काम मेसर्स प्रविण इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड इन कंपनियों द्वारा किया जा रहा है. 9 मंजिल एवं 2 सर्विस मंजिल ऐसी कुल 11 मंजिल वाली यह नई बिल्डिंग है. 92 महीने के बाद भी काम अधुरा है और वर्तमान एमएमआरडीए प्रशासन का मुख्यालय प्रशस्त होते हुए भी रु 106 करोड की फिजूलखर्ची होने की बात अनिल गलगली ने कही. विशेष यानि प्रस्तावित आलिशान बिल्डिंग से सटकर तंत्री नाम की अत्याधुनिक बिल्डिंग एमएमआरडीए प्रशासन की है. एक ओर महाराष्ट्र का बडा हिस्सा सूखाग्रस्त और दुसरी ओर किसानों की आत्महत्या में वृद्धि होते हुए भी स्वंय मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली एमएमआरडीए द्वारा किया जानेवाला करोडो रुपए का खर्चा सूखाग्रस्तों और किसान परिवारों के जख्म पर नमक छिड़कने समान है, ऐसी तीखी प्रतिक्रिया अनिल गलगली ने व्यक्त की है. अब नए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस एमएमआरडीए प्रशासन की इस फिजूलखर्ची पर कैसे लगाम कसेगें? यह देखने लायक होगा.

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