Sunday 19 July 2015

मुख्यमंत्री ने ‘नए’ स्वाधीनता सेनानियों की पेंशन को अदायगी से रोक

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 88 लोगों की स्वीकृत की गई पेंशन अदा करने पर रोक लगा दी है। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने बीते सप्ताह ‘नए’ स्वाधीनता सेनानियों की पेंशन का मामला आरटीआई से उजागर किया था जिसमें 3 मृतक भी शामिल थे। बीड में 79, अहमदनगर में 4, उस्मानाबाद  में 4 और नांदेड में 1 ऐसे 88 मामलों को  मार्च से मई महीनों के बीच स्वीकृति दी गई। बीड के कलेक्टर ने कुल पुराने 1184 स्वाधीनता संग्राम सेनानियों और 79 नए मामले जोड़कर 16 करोड़ रुपये की मांग सामान्य प्रशासन विभाग के सामने पेश की है। पुराने नियमित स्वाधीनता सेनानियों को 7,66,68,500 रुपये और नए स्वाधीनता संग्राम सेनानियों को 8,51,97,550 रुपये चुकाने के लिए अतिरिक्त रकम जिला कार्यालय ने मांगी है। इन स्वाधीनता सेनानियों और उनके वारिसों की पेंशन अदायगी पर रोक लगा दी गई है। यह भी स्पष्ट किया है कि इस मामले में तीन स्वाधीनता सेनानियों की मौत के चलते ये आदेश दिए गए हैं। (जनाबाई भोसले, डोंगर-किन्ही, बीड की 1984 में; संभाजी खांडे, डोईठाण-बीड की 1989 में; जलसुबाई भोसले, पारगांव-बीड की दिसंबर 2009 में मौत हो चुकी है। इनके बेटे या बहू सरकार से बकाया पेंशन की मांग कर रहे हैं)। यह जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली की आरटीआई याचिका में सामने आई है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 88 लोगों की स्वीकृत की गई पेंशन अदा करने पर रोक लगा दी है। महाराष्ट्र के बीड जिले का ‘नकली स्वाधीनता सेनानियों’ से पुराना रिश्ता रहा है। 2007 में रिटायर्ड जज ए.बी.पालकर ने 298 बोगस स्वाधीनता सेनानियों के पेंशन रद्द करने के आदेश दिए थे। तब सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस पालकर को खास तौर पर यह काम सौंपा था।  मुख्यमंत्री ने सभी स्वाधीनता संग्राम सेनानियों के सभी मामलों की जांच डिविजनल कमिश्नर , औरंगाबाद से करवाने के आदेश दिए हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री की इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि जांच में सरकारी बाबुओं की मिलीभगत सामने आएगी और ऐसे अधिकारियों पर कानूनी कारवाई होनी चाहिए

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