Thursday 23 July 2015

2018 तक रिलायंस कंपनी ने घाटा उठाने की हामी भरी थी

1048 करोड़ का खर्च कम बताकर पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप वाली मुंबई मेट्रो प्रोजेक्ट को हथियानेवाली अनिल अंबानी की रिलायंस कंपनी ने शुरुवाती 8 वर्ष यानी वर्ष 2018 तक घाटा उठाने की हामी भरी थी, ये चौकानेवाली जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को एमएमआरडीए प्रशासन ने दी है। रिलायंस कंपनी स्वयं ही पेश किए हुए बिजनेस प्लान के विपरित काम करते हुए मुंबईकरों को लूटने की बात उजागर हुई है। रिलायंस कंपनी और एमएमआरडीए के विवाद में मुंबईकरों पर किराया वृद्धि का आया बोझा का जायजा लेने के लिए आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन से विभिन्न जानकारी मांगी थी। एमएमआरडीए प्रशासन ने अनिल गलगली को बताया कि पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप वाली मुंबई मेट्रो प्रोजेक्ट के अंतर्गत मुंबई मेट्रो वन रिलायंस एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड और आयआयसीयू आयएल एंड एफएस इन कंपनी ने टेंडर ने हिस्सा लिया था। मुंबई मेट्रो वन रिलायंस एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड ने प्रोजेक्ट की कुल लागत 2356 करोड़ और पूंजी सहाय 1251 करोड़ की धनराशि का उल्लेख किया था। वही 3404 करोड़ कुल प्रोजेक्ट की लागत बताकर आयआयसीयू आयएल एंड एफएस इस कंपनी ने 1296 करोड़ रुपए की पूंजी सहाय की मांग की थी। पूंजी सहाय सिर्फ 45 करोड़ कम होने से मुंबई मेट्रो वन रिलायंस एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड इस अनिल अंबानी की कंपनी को काम मिल गया। एग्रीमेंट के तहत पूरा काम वर्ष 2010 तक होगा, ऐसा रिलायंस कंपनी मानकर चल रही थी और शुरुआती 8 वर्ष ( वर्ष 2011 से वर्ष 2018 तक ) घाटा उठाने को तैयार थी। ये सच्चाई होते हुए रिलायंस कंपनी 8 वर्ष तो दूर की बात रही शुरुआत के पहले दिन से ही घाटे का रोना जो शुरु किया है वह आजतक बरकरार हैं। महाराष्ट्र सरकार ने 3 सितंबर 2013 को वर्ष 2044-45 तक चरणबद्ध तरीके से किराया बढ़ाते हुए हर 4 वर्ष से 11 प्रतिशत किराया बढ़ाने का फैसला किया था। जिसमें रिलायंस की भी सहमति थी । काम हासिल करने और उसके बाद एग्रीमेंट करने के दौरान हर एक नियम और शर्तीस हा कर 8 वर्ष घाटा उठाने के लिए तैयार रिलायंस कंपनी पर एमएमआरडीए प्रशासन धोखाधड़ी का मुकदमा क्यों नही दायर करती है? ऐसा सवाल कर अनिल गलगली ने रिलायंस कंपनी का फर्जीवाड़ा ध्यान में रखकर भविष्य में किसी भी सरकारी टेंडर में हिस्सा लेने से अनिल अंबानी की रिलायंस कंपनी पर पाबंदी लगाने की मांग मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से की है। मुंबई मेट्रो प्रोजेक्ट का कुल खर्च 1048 करोड़ ये आयआयसीयू आयएल एंड एफएस ईद कंपनी से कम दिखानेवाली रिलायंस अब उतने ही धनराशि का अर्थसहाय अब सरकार से मांगने से रिलायंस बेनकाब हो चुकी है, ऐसी तीखी प्रतिक्रिया अनिल गलगली ने जताई है।

2018 पर्यंत रिलायंस कंपनीने नुकसान सोसण्याची तयारी दर्शविली होती

1048 कोटी खर्च कमी दाखवित पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप असलेली मुंबई मेट्रो योजना बळकवणारी अनिल अंबानीच्या रिलायंस कंपनीने पहिले 8 वर्ष म्हणजे वर्ष 2018 पर्यंत नुकसान सोसण्याची तयारी दर्शविली होती, अशी माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस एमएमआरडीए प्रशासनाने दिली असून रिलायंस कंपनी स्व:त सादर केलेल्या बिजनेस प्लानच्या विपरित काम करत मुंबईकरांची पिळवणुक करत असल्याची बाब सिद्ध होत आहे. रिलायंस कंपनी आणि एमएमआरडीएच्या वादात मुंबईकरांवर कोसळलेले भाडेवाढीच्या संकटाची चाचपणी करण्यासाठी आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी एमएमआरडीए प्रशासनाकडून विविध माहिती मागितली होती. एमएमआरडीए प्रशासनाने अनिल गलगली यांस कळविले की पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप असलेली मुंबई मेट्रो योजना अंतर्गत मुंबई मेट्रो वन रिलायंस एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड आणि आयआयसीयू आयएल एंड एफएस या कंपनीने निविदात भाग घेतला. मुंबई मेट्रो वन रिलायंस एनर्जी प्राइवेट लिमिटेडने खर्च 2356 कोटी आणि भांडवल सहाय्य 1251 कोटी नमूद केले होते तर 3404 कोटी खर्च दाखवित आयआयसीयू आयएल एंड एफएस या कंपनीने 1296 कोटी रुपये भांडवल सहाय्याची मागणी केली होती. भांडवल सहाय्य फक्त 45 कोटी कमी असल्यामुळे मुंबई मेट्रो वन रिलायंस एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड या अनिल अंबानीच्या कंपनीस काम मिळाले. करारनामा प्रमाणे पूर्ण काम वर्ष 2010 पर्यंत होईल असे रिलायंस कंपनीने गृहीत धरले होते आणि पहिले 8 वर्ष ( वर्ष 2011 ते वर्ष 2018 पर्यंत ) नुकसान सोसण्याची तयारी दर्शविली होती. ही वस्तुस्थिती असताना रिलायंस कंपनीने 8 वर्ष तर दुरच राहिले पहिल्याच दिवसांपासून नुकसानीचे जे रडगाणे सुरु केले ते आजपर्यंत सुरुच आहे. महाराष्ट्र शासनाने 3 सप्टेंबर 2013 रोजी वर्ष 2044-45 पर्यंत टप्याटप्याने भाडेवाढ करत प्रत्येक 4 वर्षाने 11 टक्के भाडे वाढविण्याचे निश्चित केले होते. ज्यास रिलायंसची सुद्धा सहमति होतीच. काम मिळविताना आणि त्यानंतर करारनामा करताना सर्व अटी आणि शर्तीस होकार देत पहिले 8 वर्ष नुकसान सोसण्याची तयारी दर्शविणारी रिलायंस कंपनीवर एमएमआरडीए प्रशासन फसवणुकीचा गुन्हा का दाखल करत नाही? असा सवाल करत अनिल गलगली यांनी रिलायंस कंपनीची फसवणुक लक्षात घेता भविष्यात कोणत्याही सरकारी निविदेत भाग घेण्यापासून अनिल अंबानीच्या रिलायंस कंपनीवर बंदी घालण्याची मागणी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस केली आहे. मुंबई मेट्रो योजनेचा खर्च 1048 कोटी हा आयआयसीयू आयएल एंड एफएस या कंपनीपेक्षा कमी दाखविणारी रिलायंस आता तितक्याच रक्कमेचे अर्थसहाय्य आता शासनाकडे मागत असल्यामुळे रिलायंसचे पितळ उघडे पडले आहे, अशी प्रतिक्रिया अनिल गलगली यांनी व्यक्त केली आहे.

Reliance had projected of loss till 2018 in its business plan for Mumbai metro at the stage of bidding itself.

Reliance which was the successful bidder for the Mumbai metro project, had acquired the project by projecting reduced expenses of about Rs 1048 crores to get this important PPP project from MMRDA. In the business plan submitted along with its bid it had projected and provisioned for losses for running the metro for 8 years of operations. That the company is now working against its own planned projection and causing harassment to mumbaikars for earning high profits can be understood from the fact. This Information has been provided to RTI activist Anil Galgali by the MMRDA administration. The dispute between the Reliance and the MMRDA has resulted in inconvenienceing the mumbaikars due to a fare hike as well as an projected fare hike. With an objective to understand the dispute RTI activist Anil Galgali had filed an RTI query seeking various information pertaining to the project from the MMRDA. In a reply the MMRDA Informed Galgali that, Reliance and IICU - IL&FS had bid for the Mumbai metro project under PPP method. The financial bid of Reliance was projected cost of Rs 2356 crores and sought a viability gap funding of Rd 1251 crores, whereas the IICU - IL&FS submitted it's bid by projecting a cost of Rs 3404 crores and seeking VGF of Rs 1296 crores due to which Reliance promoted Mumbai metro one private limited secured the project. As per the agreement executed between Reliance and the MMRDA, the project was to be completed by 2010. In the business plan submitted by the Reliance it was estimated that the company will require 8 years to break even in this project and hence had planned to sustain loss upto 2018. Instead of sticking to its business plan the Reliance, right from day one had started cribbing about the losses, which is still going on. The state govt along with the Reliance Co had finalised the fare pattern on 3/9/2013 and had approved the fares for the Mumbai metro uptil year 2044-45 and had allowed for stage wise fare increases of 11% every 4 years, which was agreed upon by the Reliance as well. To secure the Mumbai metro bid, the Reliance agreed to all the terms and conditions of the project. It is also understood that such projects need a long gestation period, which was reflected in its business plan of operating in loss for 8 years. Has now reversed it's stand and taking the MMRDA, the state govt and the mumbaikars for a ride. Looking at the scenario, Galgali wondered as to why MMRDA is not filing a case of cheating and breach of trust and violation of agreement case against the Reliance. Galgali in his demand has asked CM Devendra Fadnavis to ban Reliance from taking part in any of the PPP projects in future. Also the Reliance is seeking an additional assistance from the govt which is similar to the difference between the bid of Reliance and IICU - IL&FS, that of Rs 1048 crores exposes the Chinks in the armour of the Reliance that it had purposely under bid to just secure the project and now is resorting to arm twisting by holding the mumbaikars to ransom, observed Galgali.

Monday 20 July 2015

मुख्यमंत्री की नई स्वतंत्रता सेनानियों की सूची में 3 मृतक भी शामिल

भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 88 नए लोगों को स्वतंत्रता सेनानियों बनाते हुए एक ही दिन में बीड के 52 लोगों को पेंशन मंजूर की है जिसमें 3 मृतक की शामिल होने का चौकानेवाला खुलासा आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को सरकार ने जारी की हुई सुचना से हुआ है। मृतक के वारिस बेटा और बहू स्वतंत्रता सेनानियों के हिस्से में बताई गई लाखों की बकाया धनराशि पर अधिकार जताने से मृतक को पेंशन मंजूर मामले ने रॅकेट सक्रिय होने की पुरी संभावना जताई जा रही है। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महाराष्ट्र सरकार से स्वतंत्रता सेनानी सम्मान निवृत्ती वेतन मंजूर मामले की जानकारी मांगी थी। सामान्य प्रशासन विभागाच्या स्वतंत्रता सेनानी कक्ष ने अनिल गलगली को बताया कि 1 जनवरी 2015 से 5 जून 2015 की आखिर तक कुल 88 स्वतंत्रता सेनानियों का पेंशन मंजूर किया गया जिसमें 79 बीड ,1 नांदेड, 4 उस्मानाबाद एवमं 4 अहमदनगर के है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तो एक ही दिन में अकेले बीड जिला के ही 52 लोगों को स्वतंत्रता सेनानी का हकदार बनाया है। इसके पहली की कांग्रेस और राष्ट्रवादी के राज में अकेले बीड जिला के 355 में से 298 स्वतंत्रता सेनानी फर्जी पाए गए थे। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बीड जिला के 79 लोगों को स्वतंत्रता सेनानियों को दिए जानेवाले पेंशन का हकदार बनाया जिसमें से संभाजी अंबुजी खांडे, जनाबाई लक्ष्मण येवले और जलसुबाई तुकाराम भोसले के 3 ऐसे मामले है जो मुख्यमंत्री की मंजूरी के कुछ वर्ष पहले स्वर्गवास हो चुके हैं। बीड जिलाधिकारी कार्यालय ने दिनांक 29 मई 2015 को सरकार को सूचित किया कि संभाजी अंबुजी खांडे की मृत्यु दिनांक 25 अक्टूबर 2011 और उनकी पत्नी मथुराबाई संभाजी खांडे की मृत्यु दिनांक 08 सितंबर 2014 को होने से अब उनका वारिसदार बेटा शहाजी बकाया धनराशि की मांग कर रहा है। जनाबाई लक्ष्मण येवले की मृत्यु दिनांक 22 अगस्त 2012 को होने से उनका बेटा अरुण येवले ने बकाया धनराशि के लिए। आवेदन किया है वहीँ 30 दिसंबर 2009 को जलसुबाई तुकाराम भोसले की मृत्यु होने के बाद उनकी बहू जयश्री गौतम भोसले बकाया धनराशि उसे देने की मांग कर रही है। बीड जिलाधिकारी ने 79 नए स्वतंत्रता सेनानियों की बकाया धनराशि और मार्च 2016 तक 8 करोड़ 51 लाख 97 हजार 550 रुपए सरकार से मांगे हैं। बीड जिला में 494 केंद्र और 690 राज्य ऐसे कुल 1184 स्वतंत्रता सेनानियों की बड़ी तादाद है। अनिल गलगली ने इस मामले में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, गृह राज्यमंत्री रणजीत पाटिल, मुख्य सचिव स्वाधीन क्षत्रिय और सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव सुमित मलिक को रिमाइंडर भेजकर 88 मामलों को रद्द कर एफआईआर दर्ज करने की मांग की हैं। जिसतरह मृतक भी जिंदा बताकर बकाया धनराशि दिलवाने में कोई बड़ा रॅकेट मंत्रालय में सक्रिय होने की बड़ी आशंका जताते हुए अनिल गलगली ने मांग की है कि 88 मामलों की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो के जरिए करने पर मंत्रालय से नए-नए स्वतंत्रता सेनानी बनाने का रॅकेट का भांडाफोड़ होगा।

मुख्यमंत्र्यानी मंजूर केले स्वातंत्र्यसैनिक पेंशन, 3 मृतकांचा समावेश

भाजपा सरकारचे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी 88 नवीन लोकांना स्वातंत्र्यसैनिकाचा दर्जा देत एकाच दिवसी बीडच्या 52 लोकांना स्वातंत्र्यसैनिकाचा दर्जा बहाल केला असून यामध्ये 3 मृतकांचा समावेश असल्याची धक्कादायक माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस शासनाने दिली आहे. मृतकांचे वारस मुलगा आणि सुन स्वातंत्र्यसैनिकांच्या वाटयास आलेल्या 'लाखमोल' थकबाकी रक्कमेवर हक्क गाजवित असून मृतकांना पेंशन मंजूर प्रकरणात रॅकेट सक्रिय असल्याची शक्यता वर्तविण्यात येत आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी महाराष्ट्र शासनाकडे स्वातंत्र्य सैनिक सम्मान निवृत्ती वेतन मंजूर प्रकरणाची माहिती मागितली होती. सामान्य प्रशासन विभागाच्या स्वातंत्र्यसैनिक कक्षाने अनिल गलगली यांस कळविले की 1 जानेवारी 2015 ते 5 जून 2015 अखेरपर्यन्त एकुण 88 स्वातंत्र्य सैनिक पेंशन प्रकरणे मंजूर केली असून यात 79 बीड,1 नांदेड आणि प्रत्येकी 4-4 उस्मानाबाद व अहमदनगर अशी प्रकरणे आहेत. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी तर एकाच दिवशी फक्त बीड जिल्ह्यातील 52 लोकांना स्वातंत्र्यसैनिकाचा दर्जा बहाल करण्याचा विक्रम स्थापित केला. यापूर्वी कांग्रेस आणि राष्ट्रवादीच्या राजवटीत फक्त बीड जिल्ह्यातील 355 पैकी 298 प्रकरणे बोगस होती. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी ज्या बीड जिल्ह्यातील 79 प्रकरणे मंजूर केली त्यात संभाजी अंबुजी खांडे, जनाबाई लक्ष्मण येवले आणि जलसुबाई तुकाराम भोसले अशी तीन प्रकरणे आहेत जे मंजूरीपूर्वीच काही वर्ष आधीच मृत्यु पावले आहेत. बीड जिल्हाधिकारी कार्यालयाने दिनांक 29 मे 2015 रोजी शासनास कळविले की संभाजी अंबुजी खांडे यांचा मृत्यु दिनांक 25 ऑक्टोबर 2011 आणि पत्नी मथुराबाई संभाजी खांडे यांचा मृत्यु दिनांक 08 सप्टेंबर 2014 रोजी झाला असून वारस मुलगा शहाजी थकबाकी मागत आहे. जनाबाई लक्ष्मण येवले यांचा मृत्यु दिनांक 22 ऑगस्ट 2012 रोजी झाला असून मुलगा अरुण येवले थकबाकी मागत आहे तर जलसुबाई तुकाराम भोसले या 30 डिसेंबर 2009 रोजी मयत झाल्या असून सुन जयश्री गौतम भोसले थकबाकीची मागणी करत आहे. बीड जिल्हाधिकारी यांनी 79 नवीन स्वातंत्र्यसैनिक यांना थकबाकी आणि मार्च 2016 पर्यन्त 8 कोटी 51 लाख 97 हजार 550 रुपये मागितले आहेत. बीड जिल्ह्यात 494 केंद्र आणि 690 राज्य अशी 1184 स्वातंत्र्यसैनिक पेंशन धारक आहेत. अनिल गलगली यांनी याबाबतीत मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, मुख्य सचिव स्वाधीन क्षत्रिय आणि सामान्य प्रशासन विभागाचे प्रधान सचिव सुमित मलिक यांस स्मरणपत्र पाठवून 88 प्रकरणे रद्द करत फौजदारी गुन्हा दाखल करण्याची मागणी केली आहे. ज्याअर्थी मृतकांचा समावेश आहे त्याअर्थी थकबाकी रक्कम मिळवून देण्यासाठी कोणते रॅकेट मंत्रालयात सक्रिय असल्याची दाट शक्यता अनिल गलगली यांनी व्यक्त करत मागणी केली की 88 प्रकरणांची चौकशी एंटी करप्शन ब्यूरो मार्फत केल्यास मंत्रालयातील नव-नवीन स्वातंत्र्यसैनिक बनविण्याचे रॅकेट उध्वस्त होईल.

CM approved new freedom fighters list, includes 3 dead also

Recently CM Devendra Fadnavis led BJP govt had declared 88 persons as freedom fighters which included 52 people for Beed on a single day. Now it has further come to light that the list includes 3 people who are already dead, this shocking revelation has come forth in a reply to a query by RTI activist Anil Galgali. Now the inheritors of the dead which include the son and daughter in law in one case are pursuing the just declared inheritance, which will be in lakhs as the same will be payable since the start of the scheme, giving a reason to believe that it could be a deep rooted racket. RTI activist Anil Galgali had sought information from the government about the recent addition to the freedom fighters pension wages list, in which the govt had informed that since 1 Jan 2015 to 5 June 2015 a fresh list of 88 persons were approved by the CM Fadnavis on the basis of just attachment warrants to be included in the category of freedom fighters, in which 52 Beed district people received approval on a single day, the fresh list of 88 persons contains a total of 79 persons from Beed, 1 from nanded and 4 each from osmanabad and Ahmed Nagar. During the Congress Ncp rule it had come to light that there were 298 out of 355 were found Bogus. In the fresh list of 79 freedom fighters approved by the Cm from Beed alone, 3 persons namely Shambhaji Ambuji Khande, Janabai laxman Yewle and Jalsubai tukaram Bhosale are long dead. The Beed dist collector office in a letter dt 29/5/2015 Informed the govt that, Shambhaji Ambuji Khande has expired on 25/10/2011 and his wife Mathurabai Shambhaji Khande has expired on 8/9/2014 and now his son Shahaji is demanding the dues accrued. Similarly Janabai laxman Yewle expired on 22/8/2012 and now her son Arun Yewle is seeking the dues accrued. Also Jalsubai tukaram Bhosale expired on 30/12/2009 and now her daughter in law is seeking the dues accrued. The Beed collector has sought funds to a tune of Rs 8 crore 51 lakhs 97 thousand 550, to clear the payments of dues accrued to the 79 newly declared freedom fighters. Beed already has 494 central govt and 690 state govt declared freedom fighters totaling 1184 freedom fighters to take care of, prior to the new approval. Anil Galgali in a reminder letter addressed to CM Devendra Fadnavis, State Home Minister Ranjeet Patil, CS Swadheen Kshatriya and GAD Principal Secretary Sumeet Mallik has demanded that the fresh list of 88 persons be immediately scrapped and a criminal case be filed against the racketeers who are trying to get new people approved and get funds allotted to the beneficiaries, which is functioning from the mantralaya. He further demanded that the enquiry be handed over to the Anti corruption Bureau to expose the racket of creation of new freedom fighters.

मुकेश अंबानी एमएमआरडीए के बकाएदार

देश ही नही विश्व के अमीर उद्योगपति रिलायंस इंडस्ट्रीज के सर्वेसर्वा मुकेश अंबानी एमएमआरडीए के बकाएदार है। गत 34 महीनों से अतिरिक्त प्रीमियम नही भरने से मे.रिलायंस इंडस्ट्रीज प्रा.लि.से 341 करोड़ की रकम आना शेष होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को एमएमआरडीए प्रशासन ने दी हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन से बीकेसी के 'जी' ब्लॉक में स्थित सी-66 इस भूखंड की जानकारी मांगी थी। एमएमआरडीए प्रशासन ने अनिल गलगली को बताया कि 'जी' ब्लॉक स्थित सी-66 इस भूखंड का लीजधारक मे.रिलायंस इंडस्ट्रीज प्रा.लि. को दिनांक 27/ 09/ 2008 को वितरित किया गया। भूखंड की कुल रकम 918 करोड़ 3 लाख 5 हजार 550 रुपए हैं। 10183.18 वर्ग मीटर में से निर्माण हेतु 20366 वर्ग मीटर पब्लिक कार पार्किंग और 30550 वर्ग मीटर कमर्शियल काम्प्लेक्स के इस्तेमाल की शर्त रखी गई थी और अधिकतम 550 कार पार्किंग अनिवार्य किया गया। लीज डीड से काम शुरु कर पूर्ण करने की अवधि 4 वर्ष थी जिसे मे.रिलायंस इंडस्ट्रीज प्रा.लि द्वारा अनुपालन न करते हुए उस शर्त का उल्लंघन किया। सालाना रुपए 1 यानी 10,183 का किराया ये प्रति वर्ग मीटर तय किया गया जिसमें हर साल 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी तय की गई हैं। एमएमआरडीए के महानगर आयुक्त ने 40 प्रतिशत अतिरिक्त प्रीमियम लेते हुए दिनांक 28/05/2015 तक काम पूर्ण करने का समय बढ़ाकर एक्सटेंशन दिया। इस एक्सटेंशन की रकम रुपए 341 करोड़ इतनी है जो मे.रिलायंस इंडस्ट्रीज प्रा.लि इस लीजधारक से आना शेष है। मे.रिलायंस इंडस्ट्रीज प्रा.लि इस मुकेश अंबानी की कंपनी ने एक्सटेंशन तो लिया लेकिन करोड़ों रुपए अदा करने से टालमटोल कर रही है। इस हकीकत को देखते हुए एमएमआरडीए प्रशासन को शीघ्र काम रुकाने की जरुरत बताते हुए अनिल गलगली ने अतिरिक्त प्रीमियम न भरनेवाले कंपनी से व्याज सहित रकम वसूल करने की मांग मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और एमएमआरडीए के महानगर आयुक्त यूपीएस मदान से पत्र द्वारा की हैं।

मुकेश अंबानी एमएमआरडीएचे थकबाकीदार

देशातच नव्हे तर जगातील धनाढय उद्योगपति असलेले रिलायंस इंडस्ट्रीजच सर्वेसर्वा मुकेश अंबानी एमएमआरडीएचे थकबाकीदार असून 34 महिन्यापासून अतिरिक्त प्रीमियम न भरल्यामुळे मे.रिलायंस इंडस्ट्रीज प्रा.लि. कडून 341 कोटी रक्कम येणे बाकी असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस एमएमआरडीए प्रशासनाने दिली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी एमएमआरडीए प्रशासनाकडे बीकेसी मधील 'जी' ब्लॉक मधील सी-66 येथील जमिनीबाबत माहिती मागितली होती. एमएमआरडीए प्रशासनाने अनिल गलगली यांस कळविले की 'जी' ब्लॉक मधील सी-66 या जमीनीचे लीजधारक मे.रिलायंस इंडस्ट्रीज प्रा.लि. असून त्यास दिनांक 27/ 09/ 2008 रोजी वितरण करण्यात आले आहे. जमीनीची एकूण रक्कम 918 कोटी 3 लाख 5 हजार 550 रुपये आहे. 10183.18 चौरस मीटर पैकी बांधकामासाठी 20366 चौरस मीटर पब्लिक कार पार्किंग आणि 30550 चौरस मीटर कमर्शियल काम्प्लेक्स साठी वापरण्याची अट घातली गेली तसेच अधिकतम 550 कार पार्किंग बंधनकारक केले. वार्षिक भाडे रु 1 म्हणजे 10,183 हे प्रति चौरस मीटर आकारले जात असून प्रत्येक वर्षी यात 10 टक्क्यांची वाढ निश्चित करण्यात आली आहे. लीज डीड पासून काम सुरु करुन पूर्ण करण्याची मुदत 4 वर्ष असताना मे.रिलायंस इंडस्ट्रीज प्रा.लि त्या अटीचे उल्लंघन केले. एमएमआरडीएच्या महानगर आयुक्तांनी 40 टक्के अतिरिक्त प्रीमियम आकारत दिनांक 28/05/2015 पर्यन्त मुदतवाढ दिली. या मुदतवाढीची रक्कम रुपये 341 कोटी ( अंदाजे) एवढी अजुन ती मे.रिलायंस इंडस्ट्रीज प्रा.लि या भाडेपट्टेदराकडून येणे बाकी आहे. मे.रिलायंस इंडस्ट्रीज प्रा.लि या मुकेश अंबानी यांच्या कंपनीने मुदतवाढ तर घेतली पण कोटयावधी रुपये अदा करण्याचे टाळले आहे, ही वस्तुस्थिति पहाता एमएमआरडीए प्रशासनाने ताबडतोब काम थांबविणे आवश्यक असल्याचे सांगत अनिल गलगली यांनी अतिरिक्त प्रीमियम न भरणा-या कंपनीकडून व्याजासहित रक्कम वसूल करण्याची मागणी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस आणि एमएमआरडीएचे महानगर आयुक्त यूपीएस मदान यांस पत्राद्वारे केली आहे.

Mukesh Ambani is also a defaulter of MMRDA.

One of the richest person not only amongst Indians, but the world has still to pay Rs 341 crores due to MMRDA as payment of additional premium since last 34 months. This information has been given by MMRDA to RTI activist Anil Galgali. RTI activist Anil Galgali had filed an RTI query with the MMRDA administration seeking details of plot no C 66, in the G block of the BKC.The MMRDA administration in a reply to Anil Galgali Informed that, the plot C - 66, in the G block has been leased out to M/s Reliance Industries Ltd on 27/09/2008 at a total cost of Rs 918 crores 3 lakhs 5 thousand 550. The plot admeasuring 10183.18 Sq Mtrs Construction has been allowed development of 30550 Sq Mtrs of commercial development and 20366 Sq Mtrs for public parking. The parking arrangement should be able to accommodate 550 cars is an important conditions. Rs 1 per sq.metre i.e. Rs 10,183 annual rent for the said plot land. The annual rent will be increased by 10% over the rent of previous year. It was important for the Reliance Industries to complete the project in 4 years from the date of allotment is an condition which the company has flouted. The MMRDA's Metropolitan Commissioner imposed an additional premium of 40% amounting to approximately Rs 341 crores and increased the deadline for completing the development by 28/05/2015. This amount of Rs 341 crores is still outstanding and the lease holder M/s Reliance Industries has still to pay the dues causing default. M/s Reliance Industries owned by Mukesh Ambani took the extension but has ignored paying the additional premium changes to MMRDA. Looking at the scenario the MMRDA needs to issue a immediate stop work notice and the dues along with interest should be immediately recovered stated Galgali in a letter addressed to CM Devendra Fadnavis and the Metropolitan Commissioner UPS Madan.

Sunday 19 July 2015

मुख्यमंत्री ने ‘नए’ स्वाधीनता सेनानियों की पेंशन को अदायगी से रोक

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 88 लोगों की स्वीकृत की गई पेंशन अदा करने पर रोक लगा दी है। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने बीते सप्ताह ‘नए’ स्वाधीनता सेनानियों की पेंशन का मामला आरटीआई से उजागर किया था जिसमें 3 मृतक भी शामिल थे। बीड में 79, अहमदनगर में 4, उस्मानाबाद  में 4 और नांदेड में 1 ऐसे 88 मामलों को  मार्च से मई महीनों के बीच स्वीकृति दी गई। बीड के कलेक्टर ने कुल पुराने 1184 स्वाधीनता संग्राम सेनानियों और 79 नए मामले जोड़कर 16 करोड़ रुपये की मांग सामान्य प्रशासन विभाग के सामने पेश की है। पुराने नियमित स्वाधीनता सेनानियों को 7,66,68,500 रुपये और नए स्वाधीनता संग्राम सेनानियों को 8,51,97,550 रुपये चुकाने के लिए अतिरिक्त रकम जिला कार्यालय ने मांगी है। इन स्वाधीनता सेनानियों और उनके वारिसों की पेंशन अदायगी पर रोक लगा दी गई है। यह भी स्पष्ट किया है कि इस मामले में तीन स्वाधीनता सेनानियों की मौत के चलते ये आदेश दिए गए हैं। (जनाबाई भोसले, डोंगर-किन्ही, बीड की 1984 में; संभाजी खांडे, डोईठाण-बीड की 1989 में; जलसुबाई भोसले, पारगांव-बीड की दिसंबर 2009 में मौत हो चुकी है। इनके बेटे या बहू सरकार से बकाया पेंशन की मांग कर रहे हैं)। यह जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली की आरटीआई याचिका में सामने आई है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 88 लोगों की स्वीकृत की गई पेंशन अदा करने पर रोक लगा दी है। महाराष्ट्र के बीड जिले का ‘नकली स्वाधीनता सेनानियों’ से पुराना रिश्ता रहा है। 2007 में रिटायर्ड जज ए.बी.पालकर ने 298 बोगस स्वाधीनता सेनानियों के पेंशन रद्द करने के आदेश दिए थे। तब सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस पालकर को खास तौर पर यह काम सौंपा था।  मुख्यमंत्री ने सभी स्वाधीनता संग्राम सेनानियों के सभी मामलों की जांच डिविजनल कमिश्नर , औरंगाबाद से करवाने के आदेश दिए हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री की इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि जांच में सरकारी बाबुओं की मिलीभगत सामने आएगी और ऐसे अधिकारियों पर कानूनी कारवाई होनी चाहिए

CM order to stayed new freedom fighters Pension

Recently CM Devendra Fadnavis led BJP govt had declared 88 persons as freedom fighters which included 52 people for Beed on a single  day.  Now it has further come to light that the list includes 3 people who are already dead, after this shocking revelation has come forth in a reply to a query by RTI activist Anil Galgali, CM Devendra Fadanvis now stayed all new  freedom fighter sanction Pension and order to inquiry all new cases by Divisional Commissioner, Aurangabad. RTI activist Anil Galgali had sought information from the government about the recent addition to the freedom fighters pension wages list, in which the govt had informed that since 1 Jan 2015 to 5 June 2015 a fresh list of 88 persons were approved by the CM Fadnavis on the basis of just attachment warrants to be included in the category of freedom fighters, in which 52 Beed district people received approval on a single day, the fresh list of 88 persons contains a total of 79 persons from Beed, 1 from nanded and 4 each from osmanabad and Ahmed Nagar. During the Congress Ncp rule it had come to light that there were 298 out of 355 were found Bogus. In the fresh list of 79 freedom fighters approved by the Cm from Beed alone,  3 persons namely Shambhaji Ambuji Khande, Janabai laxman Yewle and Jalsubai tukaram Bhosale are long dead. The Beed dist collector office in a letter dt 29/5/2015 Informed the govt that,  Shambhaji Ambuji Khande has expired on 25/10/2011 and his wife Mathurabai Shambhaji Khande has expired on 8/9/2014 and now his son Shahaji is demanding the dues accrued. Similarly Janabai laxman Yewle expired on 22/8/2012 and now her son Arun Yewle is seeking the dues accrued. Also Jalsubai tukaram Bhosale expired on 30/12/2009 and now her daughter in law is seeking the dues accrued. The Beed collector has sought funds to a tune of Rs 8 crore 51 lakhs 97 thousand 550, to clear the payments of dues accrued to the 79 newly declared freedom fighters. CM Devendra Fadanvis order inquiry in all new case. Now Divisional Commissioner, Aurangabad check all new cases legality in which 3 already dead. This step taken by CM after exposure by Anil Galgali in last week. Anil Galgali demanded that the enquiry be handed over to the Anti corruption Bureau to expose the racket of creation of new freedom fighters. The fresh list of 88 persons be immediately scrapped and a criminal case be filed against the racketeers who are trying to get new people approved and get funds allotted to the beneficiaries, which is functioning from the mantralaya, add Galgali.

मुख्यमंत्र्यानी ‘नवीन’ स्वातंत्र्य सैनिकांची पेंशन प्रकरणास दिली स्थगिती

महाराष्ट्र राज्याचे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी 88 लोकांना मंजूर केलेली पेंशन देण्यापासून थांबवित स्थगिती आदेश जारी केले आहे. आरटीआय कार्यकर्ता अनिल गलगली यांनी गेल्या आठवडयात ‘नवीन’ स्वातंत्र्यसैनिकांना मंजूर पेंशन घोटाळा  आरटीआय माध्यमातून समोर आणला होता ज्यात 3 मृतकांचा सुद्धा समावेश होता. बीड मधील 79, अहमदनगर मधील 4, उस्मानाबाद मधील 4 आणि नांदेड मधील 1 अश्या 88 प्रकरणास गेल्या काही महिन्यात मंजूरी दिली होती. बीडचे जिल्हाधिकारी यांनी पूर्वीचे 1184 स्वातंत्र्यसैनिक आणि 79 नवीन प्रकरणे यांस जोडत 16 कोटी रुपयांची मागणी  सामान्य प्रशासन विभागाकडे केली होती. पूर्वीच्या नियमित स्वातंत्र्यसैनिकांना 7,66,68,500 रुपये आणि नवीन स्वातंत्र्य सैनिकांना 8,51,97,550 रुपये देण्यासाठी अतिरिक्त रक्कम जिल्हा कार्यालयाने मागितली होती. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी या स्वातंत्र्यसैनिकांना आणि त्यांच्या वारसाना पेंशन देण्यापासून स्थगिती दिली आहे. तीन स्वातंत्र्यसैनिकांच्या मृत्युमुळे सदर आदेश जारी केला गेला आहे. बीड जिल्हाधिकारी कार्यालयाने दिनांक 29 मे 2015 रोजी शासनास कळविले की संभाजी अंबुजी खांडे यांचा मृत्यु दिनांक 25 ऑक्टोबर 2011 आणि पत्नी मथुराबाई संभाजी खांडे यांचा मृत्यु दिनांक 08 सप्टेंबर 2014 रोजी झाला असून वारस मुलगा शहाजी थकबाकी मागत आहे. जनाबाई लक्ष्मण येवले यांचा मृत्यु दिनांक 22 ऑगस्ट 2012 रोजी झाला असून मुलगा अरुण येवले थकबाकी मागत आहे तर जलसुबाई तुकाराम भोसले या 30 डिसेंबर 2009 रोजी मयत झाल्या असून सुन जयश्री गौतम भोसले थकबाकीची मागणी करत आहे. महाराष्ट्र राज्यातील बीड जिल्हा आणि बोगस स्वातंत्र्यसैनिक असे जुने समीकरण आहे. वर्ष 2007 मध्ये रिटायर्ड जज ए.बी.पालकर यांनी 298 बोगस स्वातंत्र्यसैनिकांचे  पेंशन रद्द करण्याची शिफारस केल्यानंतर शासनाने त्यास अनुकुलता दर्शविली होती.त्यावेळी सुप्रीम कोर्टाने जस्टिस पालकर यांस विशेष बाब म्हणून ही जबाबदारी सोपविली होती. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी स्वातंत्र्यसैनिकांच्या सर्व प्रकरणाची चौकशी विभागीय आयुक्त, औरंगाबाद यांच्या मार्फत करण्याचे आदेश दिले आहेत. आरटीआय कार्यकर्ता अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांच्या कारवाईचे स्वागत करत मागणी केली आहे की चौकशीमध्ये सरकारी अधिकारीवर्गाची संलग्नता समोर येईल आणि अश्या अधिकारीवर्गावर कडक कारवाई करणे गरजेचे आहे.

Monday 13 July 2015

Only one success for the SIC in courts in the appeals against its orders

84 cases on orders of the SIC reached the courts in past 10 years, out which the SIC received success in just a single case where its order was retained, whereas in other 83 cases the court  either ruled against the order of the SIC or till pending , this information came to light in a reply to a query filed by RTI Activist Anil Galgali. RTI Activist Anil Galgali had filed an RTI query with the Maharashtra State Information Commission, seeking information about the cases in which agencies have gone to court against the order of the SIC. The information was refused stating that there was no such data available with the SIC, forcing Galgali to file an appeal. On the appeal the SIC informed Galgali that, in the period of 10 years from 2006 to 2015 a total of 84 cases went to court, in which the SIC obtained success in just one case where as in the other 83 cases the order of the SIC was overturned or till pending in court. The most cases approaching the court were in the year 2013, wherein 24 cases were appealed in courts followed by 23 in 2014, 12 in 2012, 10 in 2010, 5 in 2011, 7 in 2015, and one each in 2006, 2008 and 2009. No cases in 2007 reached courts. One case involving the Reliance Energy Ltd is still pending in courts since 2011, which pertains to the order of the SIC bring the company under the purview of the RTI Act 2005. Important to note is that the Reliance Energy is a energy supplier in the Mumbai Suburbs. The agencies which have approached the courts against orders  by the SIC are the Govt's Home Dept, Mumbai University, Reliance Energy, Mumbai Municipal Corporation, Police Dept, and S D Corporation. It is also important to note here that the SIC also does not take much interest in the cases against it in courts, due to which the success ratio for it is less that 1%, regretted Galgali. Anil Galgali, in a letter addressed to CM Devendra Fadnavis has demanded that to maintain the importance of the SIC and to preserve the sanctity of the RTI Act 2005, the State Govt should make separate arrangements of Special Advocates to represent the SIC in forceful manner so that the orders of the SIC are maintained which will be beneficial for the common man.

एक ही मामले में राज्य सूचना आयोग को कोर्ट की लड़ाई में मिली जीत

महाराष्ट्र के राज्य सूचना आयोग ने जारी किए हुए आदेश के विरोध में अब तक कोर्ट में 84 मामले मुकदमे दायर हो चुके है जिसमें से सिर्फ एक ही मामले में आयोग को कोर्ट की लड़ाई में जीत मिलने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को राज्य सूचना आयोग ने दी है। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने राज्य सूचना आयोग ने जारी किए हुए आदेश के खिलाफ में अब तक कोर्ट में दायर मामलों की जानकारी मांगने पर पहले तो उन्हें जानकारी उपलब्ध न होने का बहाना कर जानकारी दी नही गई। उसके बाद अनिल गलगली ने दायर अपील के बाद कुल 84 मुकदमे की जानकारी दी गई। वर्ष 2006 से 2015 इन 10 वर्ष की अवधि में कोर्ट में दायर 84 मुकदमों से सिर्फ एक ही मुकदमा जीतने में राज्य सूचना आयोग को सफलता मिली। सर्वाधिक 24 मुकदमे वर्ष 2013 में दायर हुए उसके बाद वर्ष 2014 में 23 मुकदमे दायर हुए थे। वर्ष 2012 में 12 , वर्ष 2010 में 10 , वर्ष 2015 में 7 , वर्ष 2011 में 5 वहीँ 1-1 ऐसे 3 मुकदमे में वर्ष 2006 , 2008 और 2009 में दायर हुए हैं। वर्ष 2007 में एक भी मुकदमा कोर्ट में दायर नही हुआ। इनमें मुंबई उपनगर में बिजली आपूर्ती करनेवाली 'रिलायंस एनर्जी' इस कंपनी की सूचना का अधिकार कानून, 2005 के दायरे में लाने का मुकदमा वर्ष 2011 से प्रलंबित है। महाराष्ट्र राज्य सूचना आयोग ने दिए हुए आदेश के खिलाफ में कोर्ट में मुकदमा दायर करने में गृह विभाग, मुंबई विद्यापीठ,  रिलायंस एनर्जी, मुंबई मनपा , पुलिस विभाग , एस डी कॉरपोरेशन जैसी एजेंसी और कंपनी का शुमार हैं। राज्य सूचना आयोग कोर्ट में दायर मुकदमे में रुचि नही लेने से जीत का प्रतिशत सिर्फ एक ही प्रतिशत है, इसपर दुःख जताते हुए अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र भेजकर मांग की है कि  राज्य सुचना आयोग की महत्त्वता को बरकरार रखने के लिए कोर्ट में दायर मुकदमों के लिए विशेष वकिलों की व्यवस्था करे ताकि जनहित वाले मुकदमे का फैसला और जीत सूचना आयोग के पक्ष में आए।

एकाच प्रकरणात राज्य माहिती आयोगास न्यायालयीन लढाईत यश

महाराष्ट्रात राज्य माहिती आयोगाने जारी केलेल्या आदेशाच्या विरोधात आतापर्यन्त न्यायालयात 84 प्रकरणात खटला दाखल केला गेला असून फक्त एकाच प्रकरणात माहिती आयोगास न्यायालयीन लढाईत यश मिळाल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस राज्य माहिती आयोगाने दिली आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी राज्य माहिती आयोगाने जारी केलेल्या आदेशाच्या विरोधात आतापर्यन्त न्यायालयात दाखल प्रकरणाची माहिती मागितली असता प्रथम त्यांस माहिती उपलब्ध नसल्याचे सांगत माहिती दिली नाही. त्यानंतर अनिल गलगली यांनी दाखल अपीलानंतर एकुण 84 प्रकरणाची माहिती दिली.  वर्ष 2006 ते 2015 या 10 वर्षाच्या कालावधीत न्यायालयात दाखल 84 प्रकरणापैकी फक्त एकाच  प्रकरणात राज्य माहिती आयोगास यश मिळाले. सर्वाधिक 24 प्रकरणे वर्ष 2013 मध्ये दाखल झाली आहेत त्यानंतर वर्ष 2014 मध्ये 23 प्रकरणे दाखल झाली आहेत. वर्ष 2012 मध्ये 12 , वर्ष 2010 मध्ये 10 , वर्ष 2015 मध्ये 7 , वर्ष 2011 मध्ये 5 तर प्रत्येकी 1-1 वर्ष 2006 , 2008 आणि 2009 मध्ये दाखल झाली. वर्ष 2007 मध्ये एकही प्रकरण न्यायालयात दाखल झाली नाही. यामध्ये मुंबई उपनगरात वीज पुरवठा करणारी 'रिलायंस एनर्जी' या कंपनीस माहितीचा अधिकार अधिनियम, 2005 अंतर्गत आणण्याचा न्यायालयीन खटला 2011 पासून प्रलंबित आहे. महाराष्ट्र राज्य माहिती आयोगाने दिलेल्या आदेशाविरोधात न्यायालयात धाव घेण्यात गृह खाते, मुंबई विद्यापीठ,  रिलायंस एनर्जी, मुंबई महानगरपालिका, पोलीस खाते, एस डी कॉरपोरेशन सारख्या एजेंसी आणि कंपनी अग्रेसर आहे. राज्य माहिती आयोग न्यायालयीन प्रकरणात स्वारस्य न घेत असल्यामुळे दावा जिंकण्याची टक्केवारी फक्त एक आहे, अशी खंत व्यक्त करत अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांस पत्र पाठवून मागणी केली आहे की राज्य माहिती आयोगाची महत्त्वता अबाधित ठेवण्यासाठी न्यायालयीन खटल्यासाठी विशेष वकिलांची व्यवस्था करावी. जेणेकरुन जनहिताच्या प्रकरणात न्यायालयीन खटला माहिती आयोगाच्या बाजूने लागेल.

Friday 10 July 2015

एक ही दिन बीड के 52 लोगों को मुख्यमंत्री ने बनाया स्वातंत्र्यसेनानी का हकदार

'दूध से मुंह जलनेवाले छास भी संभालकर पीते है ' इस कहावत को शायद भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री ने नजरअंदाज किया है। इसी लिए पिछली सरकार के राज में जिस अटैचमेंट वारंट को पालकर आयोग ने अवैध मानकर पुरे 298 मामलों को रद्द किया था अब उस जैसे ही अटैचमेंट वारंट को सबूत मानकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 88 नए लोगों को स्वातंत्र्यसेनानी का हकदार बनाकर एक ही दिन में बीड के 52 लोगों को स्वातंत्र्यसेनानी की सुविधा बहाल की है, ऐसी जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को सरकार ने दी है। जिससे करीब 6.50 करोड़ का बोझा सरकारी तिजोरी पर हुआ है। जिला गौरव समिती और जिलाधिकारी की सिफारस न लेनेवाले 88 लोगों पर मुख्यमंत्री और सरकारी बाबू मेहरबान हुए है। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महाराष्ट्र सरकार से स्वातंत्र्यसेनानी सम्मान निवृत्ती वेतन मंजूर मामलों की जानकारी मांगी थी। सामान्य प्रशासन विभाग के स्वातंत्र्यसेनानी कक्ष ने अनिल गलगली को बताया कि 1 जनवरी 2015 से 5 जून 2015 की आखिरी तक कुल 88 स्वातंत्र्यसेनानी पेंशन मामले मंजूर किए है जिसमें 79 बीड,1 नांदेड, 4 उस्मानाबाद व 4 अहमदनगर ऐसे मामले हैं।ताज्जुब की बात ये है कि इनमें से अधिकांश मामले सरकार के 4 जुलाई 1995 के निर्णयानुसार शर्तों से मेल नही खाते है और प्रभु लक्ष्मण सानप नामक मामले में तो पाटोदा और आष्टी इन अलग अलग कार्यालय के वारंट की कॉपी पेश की गई थी और वारंट का ओरिजिनल रेकॉर्ड उपलब्ध नही होने से 25 नवंबर 2002 को सरकार ने उस स्वातंत्र्यसेनानी के दावे को खारिज किया था। इस हकीकत के बावजूद सचिव स्तर पर मामला मुख्यमंत्री के पास पेश किया गया और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक ही दिन में सिर्फ बीड जिला के 52 लोगों को स्वातंत्र्यसेनानी की हैसियत दर्जा बहाल की। सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ बीड जिला के 355 फर्जी स्वातंत्र्यसेनानी मामलों की जांच हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीस ए बी पालकर इस आयोग का गठन किया था। आयोग ने 355 में से 298 मामले फर्जी होने पर मुहर लगाई और उसके अनुरुप सरकार ने सिर्फ बीड जिला के 298 स्वातंत्र्यसेनानी का पेंशन बंद किया। अब फिर एक बार बीड जिला के ही स्वातंत्र्यसेनानी का मंजूर मामलों में आष्टी के अटैचमेंट वारंट के अनुसार जिला गौरव समिती की सिफारस लिए बिना ही सचिव ने मुख्यमंत्री को रजामंद कर उनकी मंजूरी हासिल की। इसके विपरित गृह राज्यमंत्री रणजीत पाटील ने उनके पास पेश हुए 40 से 45 मामले उल्टे पैर लौटाने से डरे हुए सचिव ने मुख्यमंत्री सचिवालय के जरिए मुख्यमंत्री से संपर्क करते हुए उनसे सटे और अटैचमेंट वारंट को सबूत के तौर पर पेश कर पहीले चरण में 88 लोगों को भला किया। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने उस मामले में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, गृह राज्यमंत्री रणजीत पाटील, मुख्य सचिव स्वाधीन क्षत्रिय एयर सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव सुमित मलिक को पत्र भेजकर 88 मामलों को मंजूर करने के दौरान सामान्य प्रशासन विभाग से लेकर मुख्यमंत्री सचिवालय तक हुई अनियमितता और भ्रष्ट्राचार गंभीर होने का आरोप कर सभी मामलों को रद्द करने और फर्जी स्वातंत्र्यसेनानी बनानेवाले सभी लोगों कारवाई करते हुए अपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की है। एक ही दिन में मुख्यमंत्री ने इतने संवेदनशील मामलों को मंजूर करते वक्त एहतियात क्यों नही बरती गई? इसपर अनिल गलगली ने संदेह जताते हुए सवाल खड़ा किया है।

एकाच दिवशी बीडच्या 52 लोकांना मुख्यमंत्र्यानी बहाल केला स्वातंत्र्यसैनिकाचा दर्जा

'दुधाने तोंड भाजलेले ताक ही फुंकुन पीतात' या म्हणीकडे बहुदा भाजपा सरकारच्या मुख्यमंत्र्यानी कानाडोळा केलेला असल्याचे चित्र आहे त्यामुळेच मागील सरकारच्या राजवटीत ज्या जप्ती वारंटला पालकर आयोगाने अयोग्य मानत तब्बल 298 प्रकरणे रद्दबातल ठरवली होती आता त्यासारख्याच जप्ती वारंटच्या आधारे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी 88 नवीन लोकांना स्वातंत्र्यसैनिकाचा दर्जा देत एकाच दिवसी बीडच्या 52 लोकांना स्वातंत्र्यसैनिकाचा दर्जा बहाल केला आहे ,अशी माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस शासनाने दिली असून जवळपास 6.50 कोटीचा भुर्दड सरकारी तिजोरीवर पडला आहे. जिल्हा गौरव समिती आणि जिल्हाधिकारी यांची शिफारस न घेणा-या 88 लोकांवर मुख्यमंत्री आणि सरकारी बाबू मेहरबान झाले आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी महाराष्ट्र शासनाकडे स्वातंत्र्य सैनिक सम्मान निवृत्ती वेतन मंजूर प्रकरणाची माहिती मागितली होती. सामान्य प्रशासन विभागाच्या स्वातंत्र्य सैनिक कक्षाने अनिल गलगली यांस कळविले की 1 जानेवारी 2015 ते 5 जून 2015 अखेरपर्यन्त एकुण 88 स्वातंत्र्य सैनिक पेंशन प्रकरणे मंजूर केली असून यात 79 बीड,1 नांदेड आणि प्रत्येकी 4-4 उस्मानाबाद व अहमदनगर अशी प्रकरणे आहेत. विशेष म्हणजे यापैकी अधिकांश प्रकरणे शासनाच्या 4 जुलै1995 च्या निर्णयानुसार निकषाची पूर्तता होत नव्हती आणि प्रभु लक्ष्मण सानप या प्रकरणात पाटोदा व आष्टी या वेगवेगळ्या कार्यालयाच्या वारंटची प्रत सादर केली होती तसेच वारंटचे मूळ अभिलेख उपलब्ध नसल्यामुळे 25 नोव्हेंबर 2002 रोजी शासनाने त्यास नामंजूर केले होते. अशी वस्तुस्थिति असताना सचिव स्तरावर प्रकरण मुख्यमंत्र्याकडे सादर केले गेले आणि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी एकाच दिवशी फक्त बीड जिल्ह्यातील 52 लोकांना स्वातंत्र्यसैनिकाचा दर्जा बहाल केला आहे. सर्वोच्च न्यायालयाने फक्त बीड जिल्ह्यातील 355 बोगस स्वातंत्र्यसैनिकांच्या प्रकरणांचा तपास करण्यासाठी उच्च न्यायालयाचे सेवानिवृत्त न्यायाधीस ए बी पालकर यांच्या आयोगाची स्थापना केली. आयोगाने 355 पैकी 298 प्रकरणे बोगस असल्याचा निष्कर्ष काढला आणि त्यानुसार शासनाने फक्त बीड जिल्ह्यातील 298 स्वातंत्र्यसैनिकांच्या पेंशन बंद केल्या. आता पुन्हा एकदा बीड जिल्ह्यातील स्वातंत्र्यसैनिकांच्या मंजूर प्रकरणात आष्टीच्या जप्ती वारंटनुसार जिल्हा गौरव समितीची शिफारस न घेता सचिवांनी मुख्यमंत्र्याची मंजूरी मिळविली आहे. याउलट गृह राज्यमंत्री रणजीत पाटील यांनी त्यांसकडे सादर 40 ते 45 प्रकरणे उलटटपाली पाठविल्यामुळे सचिवांनी मुख्यमंत्री सचिवालयामार्फत मुख्यमंत्र्याना थेट गाठले आणि जप्ती वारंटच्या आधारे प्रथम टप्प्यात 88 लोकांचे चांगभले केले. अनिल गलगली यांनी याबाबतीत मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, गृह राज्यमंत्री रणजीत पाटील, मुख्य सचिव स्वाधीन क्षत्रिय आणि सामान्य प्रशासन विभागाचे प्रधान सचिव सुमित मलिक यांस पत्र पाठवून 88 प्रकरणे मंजूर करताना सामान्य प्रशासन विभागापासून मुख्यमंत्री सचिवालयापर्यन्त झालेली अनियमितता आणि भ्रष्ट्राचार गंभीर असल्याचा आरोप करत सर्व प्रकरणे रद्द करण्याची आणि बोगस स्वातंत्र्यसैनिक बनविणा-या सर्वावर कारवाई करत फौजदारी गुन्हा दाखल करण्याची मागणी केली आहे. एकाच दिवशी मुख्यमंत्र्यानी इतक्या संवेदनशील प्रकरणे मंजूर करताना योग्य ती दक्षता का घेतली नाही? याबाबत अनिल गलगली यांनी शंका उपस्थित केली आहे.

CM confers 'FREEDOM FIGHTER' status to 52 people from Beed in a single day

The State govt, it seems has thrown caution to the winds, with even the CM ignoring the better sense, this can be simply understood by the Fadnavis Govt's decision to confer FREEDOM FIGHTER status to 88 people of which 52 people from Beed being conferred in a single day itself. This decision is based on treating various Attachment warrant issued to the those persons, as proof of participation in the freedom struggle. This is in complete contravention to the action of the previous govt which had constituted Justice Palkar Commission on recommendation of Hon'ble Supreme Court. The Palkar Commission had rejected the claims of beed district 298 claimants for the Freedom Fighter status on the basis of similar Attachment Warrants . This information was provided to RTI Activist Anil Galgali in reply to his query. The decision of CM will put an additional load of Rs 6.5 crores on the state exchequer. Further this has been done without the approval and recommendation of the District Felicitation committee and the District Collector. RTI Activist Anil Galgali had sought information from the govt on the status of the Freedom Fighters Pension issues. The GAD's Freedom Fighters desk informed Galgali that from 1st January 2015 to 5th June 2015, a total of 88 cases of Freedom fighters pension issues were approved , which comprised of 79 from Beed, 1 from Nanded, & 4 each from Osmanabad and Ahmed nagar. Important to highlight here is that, all the cases were not meeting the criteria finalised by the govt as per its resolution dt 4th July 1995, Also it is similar to the Prabhu Laxman Sanap case in which he had produced two different attachment warrants issued by Patoda and Ashti offices, on enquiry it was found that there were no original records of the warrants in the both offices, hence the claim was rejected by the govt on 25th November 2002. Having this precedent on record, yet the issue was handled dealt with at the Secretary level and approval was sought directly from the CM, bypassing laid down procedures of the dept. On a single day 52 people were conferred as Freedom Fighters alone from Beed district. It is important to state here that Hon'ble Supreme Court had in the past had constituted a commission under Retd Justice A B Palkar to investigate 355 bogus Freedom Fighters cases only from Beed. On investigation by the Commission it was found that 298 of the 355 cases were indeed bogus, acting on the orders the State Govt stopped pensions to these 298 persons of Beed district, who were found bogus now once again the Beed is in lime light as cases similar to the Ashti Attachment warrants, The Secretary level officials secured the CM's approval without seeking approval and recommendation from the District felicitation committee and the District Collector. On the contrary to the CM's action, Minister of State (Home) Ranjit Patil had rejected almost 40-45 of these cases. But the Secretaries sought the direct intervention of CM Fadnavis to secure pension benefits to 88 persons. Anil Galgali in a letter addresssed to CM Devendra Fadnavis, MOS (Home) Ranjit Patil, Chief Secretary Swadheen Kshatriya, & Principal Secretary (GAD) Sumeet Mallik has sought action on the irregularities committed by the GAD. The CM Secretariat in the just sanctioned 88 cases, stating that the irregularities in the cases are grave in nature leading to corruption and hence the said sanctions be revoked and criminal cases be filed against persons responsible for the irregularities. Galgali further expressed surprise on the decision of the CM to grant approval to 52 such cases belonging to the sensitive district like Beed on a single day without taking due caution.

Wednesday 8 July 2015

BEST looses revenue for fault of BMC & Traffic dept

In a short sighted approach and to cover up the lapses and poor planning of the MMRDA, the BMC and the Traffic police had closed down a vital right turn at the Kurla end of the SCLR, this has now resulted in a daily loss of Rs 1.79 Lakhs due to excess expenses for the BEST, which bearing the brunt of the fiasco being committed by the 3 agencies, this has been now revealed in a reply to RTI Activist Anil Galgali by the BEST. It has also informed that the BEST is now contemplating a increase in its fare by Rs 4/= to recover the loss. RTI Activist Anil Galgali had sought information from the BEST undertaking, regarding the losses being incurred due to the diversion being forced to undertaken due to the closure of the right turn towards the Kurla station west. In its reply, Shri Abhay Shelar, Asst Depot Manger informed that, the closure of the left turn from the SCLR to Kurla Station has effected the distance and timings of 18 of its regular routes. A total of 1411 trips are undertaken on these 18 routes from this route resulting a extra distance travel of 1834.3 Kms as the diversion has led to increase of distance by 1.3 kms (1411 * 1.3 = 1834.3 kms). The undertaking incurs a cost of Rs 97.72 per km, resulting in a total loss of Rs 1,79,248 =00 on a daily basis ( 97.72 * 1834.3 = 1,79,248). The closure of the left turn towards the Kurla station has effected Bus route nos - 37, 192, 183, 309, 310, 313 Ltd extra, 318, 320, 325, 326, 330, 332, 349, 365, 446 and 15. It has now proposed to the administration for approval to increase the bus fares by Rs 4 each from 121 stops on the routes of the buses playing on the route. It also informed Galgali that, the MMRDA, BMC & the Traffic dept's did not deem it fit to seek its opinion on the closure of the turn, also no suggestions or chance for raising objections was provided to BEST. Anil Galgali, also sought information from the MMRDA about the closure of the left turn. In its reply the MMRDA informed that the SCLR was handed over to the BMC on 2nd May, 2015, hence the information sought, be taken from the BMC. MMRDA also gave a copy of the letter from Traffic dept dt 16th May, 2015, in which it has mentioned that, on the instructions of the BMC, the traffic dept closed the  right turn by installing Cove stones on 6th May 2015, it further mentions that due instructions from the Traffic Officer L Ward, Shri Prataprao Dighavkar and the Addl Commissioner (Eastern Suburbs) , the dividers were installed to ensure the closure of the right turn. It further claims that the steps were taken to ensure smooth and faster traffic movement on the SCLR and the same is very essential. Kurla police in a report send to Bmc,Mmrda and Traffic police on 15 June clearly claim that removal the speed breaker causes a death of women who was hit by unknown vehicle at Hanuman Mandir on 12th June while crossing the road. Kurla police urges to open a right turn towards Kurla Station to maintain the law and order situation in this area.   Anil Galgali has stated that, the action taken by the BMC and the Traffic dept is illegal as no notifications were issued for the same as no proper procedures were followed. This has also resulted in a loss of life of a woman, who met with the accident due to removal of the speed breaker after the closure. The said closure was done without application of mind by the authorities with a short sighted approached and has caused immense inconvenience to the local commuters also leading to loss of lives and daily losses for the BEST dept. In a letter addressed to CM Devendra Fadnavis, Municipal Commissioner Ajoy Mehta and the Police Commissioner Rakesh Maria, Galgali has demanded that the losses of the BEST be recovered from decision making IAS Officer Mr Srinivas, Addl Municipal Commissioner (Eastern Suburbs) and other responsible officers or the BMC and the Police dept compensate the losses of the BEST. He further stated that the manner in which the road closure was executed without issuing any notification exhibits a sense of bravado in the said officers, Galgali further questioned that why this bravado is not exhibited by the same officers in clearing the encroachments and illegal parkings on the CST Road and SG Barve Marg?

पालिका आणि वाहतुक पोलिसांच्या चुकीचा फटका बेस्ट सेवेला

एमएमआरडीए प्रशासनाचे अनियोजनावर पांघरुण घालण्यासाठी पालिका आणि वाहतुक पोलिसांनी सांताक्रूझ-चेंबूर जोडमार्गावरुन कुर्ला स्थानकाकडे जाणारे उजवे वळण बंद करण्याची चूक आता बेस्ट प्रशासनाला भोगावी लागत आहे. पालिका आणि वाहतुक पोलिसांच्या चुकीचा फटका बेस्ट सेवेवर झाला असून दररोज 1.79 लाखांचा अतिरिक्त खर्च होत असल्याची धक्कादायक कबूली आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस बेस्ट प्रशासनाने दिली असून 4 रुपये भाडेवाढ करण्याचा प्रस्ताव आहे. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस बेस्ट प्रशासनाला सांताक्रूझ-चेंबूर जोडमार्गावरुन कुर्ला स्थानकाकडे जाणारे उजवे वळण बंद केल्यामुळे होणारे नुकसान बाबत माहिती विचारली होती. बेस्टचे सहाय्यक आगार व्यवस्थापक अभय शेलार यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की सांताक्रूझ-चेंबूर जोडमार्गावरुन कुर्ला स्थानकाकडे जाणारे उजवे वळण बंद केल्यामुळे एकूण 18 बसमार्गावर परिणाम झालेला असून दररोज सरासरी 1411 बसफे-या येथून प्रवतित करण्यात येतात. प्रति बसफेरी 1.3 किलोमीटर अंतर वाढलेले असून एकूण 1834.3 ( 1411×1.3 ) किलोमीटर अंतराचा प्रवास वाढलेला आहे. उपक्रमाच्या  बसगाडयांच्या प्रति किलोमीटर प्रवतन खर्च रु 97.72 असा आहे. जो अतिरिक्त 1834.3 किलोमीटर करिता रु 1,79,248  हा अतिरिक्त खर्च दररोज करावा लागत आहे. कुर्ला स्थानकाकडे जाणारे उजवे वळण बंद केल्यामुळे बसमार्ग क्रमांक 37, 192, 183, 309, 310, 313 जादा 318, 320, 325, 326,  330, 332, 349, 365, 446 या 15 बसमार्गाच्या प्रवासमार्गावर एकूण 121 ठिकाणी प्रत्येकी रु 4 भाडेवाढ करण्याचा प्रस्ताव व्यवस्थापनाकडे सादर करण्यात आलेला असल्याची माहिती गलगली यांस देत बेस्ट प्रशासनाने स्पष्ट केले की पालिका, वाहतूक पोलीस आणि एमएमआरडीए यापैकी कोणत्याही आस्थापनाने बेस्ट प्रशासनाबरोबर कोणताही पत्रव्यवहार केलेला नाही ना मत तसेच 'ना हरकत प्रमाणपत्र' याची मागणी केली नाही. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी एमएमआरडीए प्रशासनास याबाबत माहिती मागताच एमएमआरडीएने स्पष्ट केले आहे की एमएमआरडीएने सदर रस्ता दिनांक 2 मे 2015 रोजी पालिकेस हस्तांतरित केला असल्यामुळे पालिकेशी संपर्क साधावा. एमएमआरडीएने वाहतूक पोलिसांच्या दिनांक 16 मे 2015 रोजीच्या पत्राची प्रत गलगली यांस दिली आहे ज्यात वाहतूक पोलिसांनी पालिकेच्या आदेशावर दिनांक 6 मे 2015 रोजी कव्हस्टोन लावुन उजवे वळण बंद केल्याचा दावा केला आहे. कुर्ला एल विभागाने वाहतूक अधिकारी प्रतापराव दिघावकर आणि अतिरिक्त पालिका अधिकारी पूर्व उपनगरे यांच्या आदेशाने उजवे वळण हे दुभाजक लावून बंद करण्याची माहिती देत पुढे दावा केला की  याबाबत वाहतूक जलद होण्यासाठीचा उपाययोजना म्हणून सदरचे दुभाजक बंद करणे आवश्यक असल्याचे वाहतूक खात्याचे म्हणणे होते. कुर्ला पोलिसांनी दिनांक 15 जून 2015 रोजी पालिका, एमएमआरडीए आणि वाहतूक पोलिसांना पाठविलेल्या अहवालात हनुमान मंदिर येथील स्पीड ब्रेकर काढल्यामुळे 11 जून रोजी एक महिला रस्ता ओलांडत असताना  अज्ञात मोटर वाहनाने ठोकर मारल्याने तिचा मृत्यु झाला असून उजवे वळण खुले करण्याचा पर्याय सुचविला आहे. अनिल गलगली यांनी सदर प्रकार म्हणजे अंगावर ओढावुन घेतलेला चुकीचा निर्णय असल्याचे सांगत यामुळे गरीब महिलेस प्राण गमवावे लागल्याची खंत व्यक्त केली. नियोजन चुकल्याची स्पष्टोक्ती देण्याऐवजी सार्वजनिक वाहतूक व्यवस्थेचे तीन तेरा वाजविणा-या आयएएस अधिकारी श्रीनिवास आणि संबंधित वाहतूक पोलिसांकडून दरमहा होणारा अतिरिक्त खर्च वसूल करावा किंवा दोन्ही खात्याने तो अदा करावा, अशी मागणी अनिल गलगली यांनी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, पालिका आयुक्त अजोय मेहता आणि पोलिस आयुक्त राकेश मारिया यांस पाठविलेल्या पत्रात केली आहे. विशेष म्हणजे नोटिफिकेशन न काढताच अनधिकृतपणे उजवे वळण बंद करण्याचे धाडस दाखविणारी पालिका आणि वाहतूक पोलीस सीएसटी आणि एसजी बर्वे मार्गावरील अनधिकृत पार्किंग आणि अतिक्रमण काढण्यासाठी कधीच धाडस दाखवित नाही.

बीएमसी और ट्रैफिक पुलिस की गलती का खामियाजा बेस्ट सेवा को

एमएमआरडीए प्रशासन के अनियोजन पर पर्दा ड़ालने के लिए बीएमसी और ट्रैफिक पुलिस ने सांताक्रूज-चेंबूर लिंक रोड़ से कुर्ला स्टेशन की ओर जानेवाला राईट टर्न बंद करने की गलती का खामियाजा अब बेस्ट प्रशासन को भुगतना पड़ रहा है और रोजाना 1.79 लाख का अतिरिक्त खर्च होने की सनसनीखेज जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को बेस्ट प्रशासन ने देते हुए स्पष्ट किया है कि 4 रुपए फेयर बढ़ाने का प्रस्ताव है। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने बेस्ट प्रशासन को सांताक्रूज-चेंबूर लिंक रोड़ से कुर्ला स्टेशन की ओर जानेवाला राईट टर्न बंद करने से होनेवाले घाटे की जानकारी मांगी थी। बेस्ट के सहायक डेपो मैनेजर अभय शेलार ने अनिल गलगली को बताया कि सांताक्रूज-चेंबूर लिंक रोड़ से  कुर्ला स्टेशन की ओर जानेवाला राईट टर्न बंद करने से कुल 18 बस फेरी पर परिणाम होने से रोजाना 1411 बस को संचालित किया जाता हैं। प्रति बसफेरी 1.3 किलोमीटर अंतर बढ़ने से कुल 1834.3 ( 1411×1.3 ) किलोमीटर अंतर की यात्रा बढ़ गई है। बेस्ट के बसगाडियों के प्रति किलोमीटर संचालन का खर्च रु 97.72 ऐसा है। जो अतिरिक्त 1834.3 किलोमीटर के लिए रु 1,79,248 ये अतिरिक्त खर्च रोज हो रहा है। कुर्ला स्टेशन की ओर जानेवाला राईट टर्न  बंद करने से बसमार्ग क्रमांक 37, 192, 183, 309, 310, 313 अतिरिक्त 318, 320, 325, 326,  330, 332, 349, 365, 446 इन 15 बसमार्ग के यात्रा मार्ग पर कुल 121 स्थानों पर रु 4 किराया बढ़ाने का प्रस्ताव व्यवस्थापन के पास पेश करने की जानकारी गलगली को देते हुए बेस्ट प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि बीएमसी, ट्रैफिक पुलिस और एमएमआरडीए इनमें से किसी भी ने बेस्ट प्रशासन से कोई भी पत्रव्यवहार नही किया है। बेस्ट से राय और एनओसी की मांग भी नही की है। आरटीआई कार्यकर्ते अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन को इस मामले ने जानकारी मांगते ही एमएमआरडीए ने स्पष्ट किया है कि एमएमआरडीएने ये लिंक रोड दिनांक 2 मई 2015 को बीएमसी को हस्तांतरित करने से बीएमसी से संपर्क करे। एमएमआरडीएने ट्रैफिक पुलिस का दिनांक 16 मई 2015 के पत्र की कॉपी गलगली को दे है। जिसमें ट्रैफिक पुलिस ने बीएमसी के आदेश पर दिनांक 6 मई 2015 को कव्हस्टोन लगाकर राईट टर्न बंद करने का दावा किया है। कुर्ला एल विभाग ने ट्रैफिक अधिकारी प्रतापराव दिघावकर और अतिरिक्त आयुक्त,पूर्व उपनगरे के आदेश से राईट टर्न डिवाइडर लगाकर बंद करने की जानकारी देते हुए आगे दावा किया है कि इस मामले में ट्रैफिक पुलिस ने ट्रैफिक की स्पीड बढ़ाने के लिए डिवाइडर बंद करने की जरुरत बताई। कुर्ला पुलिस ने दिनांक 15 जून 2015 को बीएमसी, एमएमआरडीए और ट्रैफिक पुलिस को भेजे हुए रिपोर्ट में हनुमान मंदिर स्थित स्पीड ब्रेकर निकालने से 11 जून को एक महिला रोड क्रॉस करने के दौरान एक गाड़ी ने उड़ाने से उसकी मौत हुई है। पुलिस ने राईट टर्न को शुरु करने पर जोर दिया है। अनिल गलगली ने इसे बेमतलब मुसीबत लेनेवाला गलत फैसला होने की बात बताते हुए इससे गरीब महिला को अपनी जान से हाथ धोने पर दुःख व्यक्त किया। नियोजन गलत होने की स्पष्टोक्ती देने के बजाय पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को बारह बजानेवाले आईएएस अधिकारी श्रीनिवास और संबंधित ट्रैफिक पुलिस से हर रोज होनेवाला अतिरिक्त खर्च वसूल करे तथा दोनों एजेंसी उसे बेस्ट को अदा करे, ऐसी मांग अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, बीएमसी आयुक्त अजोय मेहता और पुलिस आयुक्त राकेश मारिया को भेजे हुए पत्र में की हैं। विशेष यानी नोटिफिकेशन निकाले बिना अवैध तरीके से राईट टर्न  बंद करने की हिम्मत जुटानेवाली बीएमसी और ट्रैफिक पुलिस सीएसटी और एसजी बर्वे मार्ग पर स्थित अवैध पार्किंग और अतिक्रमण निकालने की हिम्मत कभी भी नही दिखाती है।

Sunday 5 July 2015

असल्फा से श्रेयस जंक्शन का फासला तय करो सिर्फ 5 मिनट में

अंधेरी घाटकोपर लिंक रोड़ का एक महत्वपूर्ण पड़ाव एमएमआरडीए प्रशासन ने पूर्ण करने से अब असल्फा से श्रेयस जंक्शन ये फासला सिर्फ 5 मिनट में तय हो रहा है। इस रोड़ से ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे से वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे इस बीच की ट्रैफिक गतिवान होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को एमएमआरडीए प्रशासन ने दी हैं। इसके पहले इसी फासले के लिए 30 से 40 मिनट की बर्बादी होती थी। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन से असल्फा से श्रेयस जंक्शन तक जोड़नेवाले लिंक रोड की जानकारी मांगी थी। एमएमआरडीए प्रशासन के कार्यकारी अभियंता प्र. जि. भांगरे ने अनिल गलगली को बताया कि 2.90 किलोमीटर इतनी लंबाई वाले अंधेरी घाटकोपर लिंक रोड का काम 9 हिस्सों में किया गया जिसमें जे पी रोड का काम भी शामिल है। आरबी कदम मार्ग के दक्षिण लाईन के स्टील सुपर स्ट्रक्चर स्थित व्हायाडक्ट का काम और जागृती नगर के समीप शेष बचा स्टील व्हायाडक्ट का काम दिसंबर 2015 तक पूर्ण होना तय माना जा रहा हैं। इन सभी कामों की टेंडर रकम 77.46 करोड़ रुपए थी जो संशोधित होने से 88.43 करोड़ रुपए हुई है। इसमें कुल 10.97 करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है। एमएमआरडीए प्रशासन ने 'जैसे है वैसे' है इस पॉलिसी पर ये रोड़ मनपा को हस्तांतरित किया है जिसे स्थानीय जनता द्वारा इस्तेमाल होने की जानकारी एमएमआरडीए प्रशासन ने दी हैं।इस अंधेरी घाटकोपर लिंक रोड़ से एलबीएस और नरसी मेहता मार्ग पर स्थित ट्रैफिक का बोझा कम होने की बात बताते हुए अनिल गलगली ने बताया कि कुछ काम शेष है जबकि अब सर्वोदय हॉस्पिटल मार्गे घाटकोपर स्टेशन की ओर जाने के लिए शॉर्टकट विकल्प उपलब्ध हुआ है। विशेष यानी मेट्रो के निचले हिस्से से ये रोड़ घाटकोपर और जागृती नगर इन मेट्रो स्टेशन को एकदूसरे से जोड़ता हैं।

असल्फा ते श्रेयस जंक्शन पार करा फक्त 5 मिनटात

अंधेरी घाटकोपर जोडरस्त्यावरील एक महत्वाचा टप्पा एमएमआरडीए प्रशासनाने पूर्ण केला असून यामुळे असल्फा ते श्रेयस जंक्शन हे 5 मिनटात पार होत आहे. या मार्गामुळे ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे ते वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे या मार्गातील वाहतूक गतिमान होण्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस एमएमआरडीए प्रशासनाने दिली आहे. यापूर्वी इतक्याच अंतरासाठी 30 ते 40 मिनटे वाया जात होती. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी एमएमआरडीए प्रशासनाकडे असल्फा ते श्रेयस जंक्शन पर्यन्त जोडरस्त्याची माहिती मागितली होती. एमएमआरडीए प्रशासनाचे कार्यकारी अभियंता प्र. जि. भांगरे यांनी अनिल गलगली यांस कळविले की 2.90 किलोमीटर इतकी लांबी असलेला अंधेरी घाटकोपर जोडरस्त्याचे 9 टप्प्यात काम झाले असून आरबी कदम मार्गावरील दक्षिण वाहिन्यातील स्टील सुपर स्ट्रक्चर मधील व्हायाडक्टचे काम आणि जागृती नगर जवळील उर्वरित स्टील व्हायाडक्टचे काम डिसेंबर 2015 अखेर पूर्ण होणे अपेक्षित आहे. या सर्व कामाची निविदा रक्कम 77.46 कोटी रुपये होती जी आता सुधारित झाल्यामुळे 88.43 कोटी रुपये झाली आहे. यामध्ये 10.97 कोटी रुपयांची वाढ झाली आहे. एमएमआरडीए प्रशासनाने जसे आहे तसे या तत्वावर सदर रस्ता पालिकेस हस्तांतरित केला असून स्थानिक नागरिकांकडून वापरण्यात येत असल्याची माहिती एमएमआरडीए प्रशासनाने दिली आहे. या अंधेरी घाटकोपर जोडरस्त्यामुळे एलबीएस आणि नरसी मेहता मार्गावरील वाहतुकीचा ताण कमी झाला असल्याचे सांगत अनिल गलगली यांनी सांगितले की काही काम शिल्लक असून आता सर्वोदय हॉस्पिटल मार्गे घाटकोपर स्टेशन दिशेने जाण्यास शॉर्टकट पर्याय उपलब्ध झाला आहे. विशेष म्हणजे मेट्रोच्या खालच्या भागातील हा रस्ता घाटकोपर आणि जागृती नगर या मेट्रो स्थानकाला एकमेकांशी जोडत आहे.

Now drive down from Asalpha to Shreyas Junction in 5 mins

The work of the important patch of the Andheri Ghatkopar Link Road has been done .by the MMRDA thus enabling commenters to now drive down from Asalpha to Shreyas Junction in Just 5 minutes. The information was provided by MMRDA, In a reply to the RTI filed by RTI Activist Anil Galgali. Commuters have Welcomed this work done by the MMRDA for which otherwise they had to spend nearly 30 to 40 minutes to travel between the said destination. RTI Activist Anil Galgali had questioned the MMRDA via RTI in regards to the work. In reply to the RTI, P G Bhangare,Executive Engineer of MMRDA said that the 2.90 kms stretch Link Roads work was completed in 9 phases. The viaduct work of Super Structure on the RB Kadam Road and the remaining Steel viaduct work near Jagruti Nagar is expected to be completed by December 2015. The cost of the said work was estimated to be 77.46 crores which was raised to 88.43 crores. Nearly 10.97 crores cost was increase. The MMRDA has handover the said road to the Bmc in as it is condition. This Link Road will also be instrumental in traffic control on the Andheri Ghatkoper Link Road from the Narsi Mehta Road and LBS Road. There was some work pending but now there is shortcut road new option heading from Sarvodaya Hospital towards Ghatkoper Station available. Interesting that this Road joint 2 Metro station from Ghatkopar and Jagruti Nagar Station and parallel below the Metro line.