Saturday 6 June 2015

45 महीनों से पहाड़ से सटे 22483 झोपडियों का पुर्नवास का एक्शन प्लान अब भी कागज पर

मुंबई में रोजाना बढती हुई आबादी राजनीतिक सपोर्ट और झोपडपट्टी दादा, पुलिस और मनपा की अभद्र युती से पहाड़ के तले एवमं आसपास के परिसर में बसती है। 45 महीने पहले मुख्यमंत्री ने 25 विधानसभा के 327 स्थानों पर स्थित पहाड़ के तले खतरे के साए में जीने वाले खतरनाक 22483 झोपडियों कस पुर्नवास का एक्शन प्लान बनाने के आदेश को नगरविकास विभाग ने अमल में न लाने का आरोप कर आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने इससे करीब 1.15 लाख नागरिकों की जान को संभाव्य खतरा देखते हुए उनका ताबडतोब पुर्नवास करने की मांग मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सरकार से की हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने गत 5 वर्षो से इस मामले पर काम कर रहे हैं। 'सूचना का अधिकार' का इस्तेमाल कर अनिल गलगली मुंबई झोपडपट्टी सुधार मंडल की रिपोर्ट को जनता के सामने लाया। मुंबई झोपडपट्टी सुधार मंडल ने 17 अप्रैल 2010 को मनपा और कलेक्टर कार्यालय की मदद से मुंबई शहर और उपनगर के खतरनाक झोपडियों का सर्वेक्षण किया। इस सर्वेक्षण में 327 खतरनाक स्थानों को मार्क किया गया। मुंबई झोपडपट्टी सुधार मंडल ने सरकार के पास सिफारश की थी कि जो 22483 झोपडियां खतरनाक है उनमें से सुरक्षा दीवार से सुरक्षित होनेवाले झोपड़ियों की संख्या 10381 है और ताबडतोब 9657 झोपडियों स्थलांतरित करना अत्यावश्यक है। अनिल गलगली के लगातार फॉलोअप के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने दिनांक 19 सितंबर 2011 को आयोजित विशेष बैठक में आदेश जारी किया कि झोपडियों का पुर्नवास करने के नजरिये से जानकारी हासिल कर विशेषज्ञ नगर रचनाकार की मदत से एक महीने के भीतर एक्शन प्लान बनाना जाएं तथा विकास योग्य जमीन की उपलब्धता पर मुंबई उपनगर जिलाधिकारी, मुंबई उपनगरे ने ताबडतोब सर्वेक्षण कर रिपोर्ट पेश करे ताकि झोपडपट्टीमुक्त शहर ये संकल्पना अमल में लाई जा सकती है। आज 45 महीने होने के बाद भी पहाडियों के तले वाली 22483 झोपडियों का पुर्नवास एक्शन प्लान कागज पर है और सरकारी विभाग ने मुख्यमंत्री आदेश को नजरअंदाज करने की टिप्पणी अनिल गलगली ने की हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली के अनुसार मुंबई के 25 विधानसभा क्षेत्र में 327 पहाड़ वाले स्थान है और सरकार ने सुरक्षा के मद्देनजर पहाड़ से सटकर सुरक्षा दीवार बनाने की शुरुवात करते हुए वर्ष 1992 से अबतक 200 करोड़ से अधिक रकम खर्च की है। लेकिन ये सुरक्षा दीवारे स्थायी इलाज नही होने से सरकार ने खतरनाक झोपडियों का पुर्नवास एमएमआरडीए और मनपा के प्रोजेक्ट अफ्फेक्टेड के लिए आरक्षित मकानों में करने की जरुरत होने की बात कहते हुए अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से इसतरह की मांग की है। दुर्घटना के बाद राहत काम, पुर्नवास और पैसे का वितरण करते हुए करोड़ों रुपए खर्च करने के बजाय पहले ही पुर्नवास किया तो जीवित और वित्तहानी पर नियंत्रण पाया जा सकता है। साथ ही में खुली जमीन का सुशोभिकरण किया जाए, ऐसी मांग करते हुए अनिल गलगली ने बताया कि अबतक पहाड़ धंसने से 260 लोगों की मौत हुई है और 270 लोग घायल हुए है। मुंबई झोपडपट्टी सुधार मंडल की रिपोर्ट अमल में लाने के बजाय जीवितहानि होने के बाद पैसों की खैरात बांटकर सरकारी कर्तव्य को निभाने की परंपरा बंद करने की जरुरत होने की बात कहते हुए अनिल गलगली ने बताया कि मुंबई शहर में 49 स्थानों पर 3986 झोपडियां खतरनाक है वहीँ ये संख्या उपनगर में 18487 है और खतरनाक स्थानों की संख्या 278 हैं। इनमें सर्वाधिक खतरा गोरेगाव को है। यहां पर झोपडियों की संख्या 3058 है वहीँ चांदिवली में 2684 झोपड़ों को गिरने का खतरा है। एक ही बार सर्वाधिक जीवितहानि वर्ष 2000 में घाटकोपर पश्चिम स्थित आजाद नगर में हुई थी। 78 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा था जिनका पुर्नवास करीब में ही 'सोनिया गांधी नगर' इस नए से बनाई गई बस्ती में किया गया था। 26 जुलाई 2005 को साकीनाका के खाडी नंबर 3 में हुई दुर्घटना में मरनेवालों की संख्या 73 थी। इसतरह की दुर्घटना से हर साल मृतकों का आकड़ा बढ़ता ही जाता है।

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